Pulses getting thinner due to inflation, flour also got wet

बाजार में एक दुकान पर बिकने के लिए रखीं दालें
– फोटो : अमर उजाला

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ये समझो और समझाओ, थोड़ी में मौज मनाओ, दाल रोटी खाओ प्रभु के गुण गाओ…फिल्म ज्वार भाटा का यह गीत बढ़ती महंगाई के बीच जिंदगी का फलसफा हुआ करता था और सादा सरल जीवन जीने की प्रेरणा देता था, लेकिन अब महंगाई ने इसे भी बेमानी कर दिया है। सब्जियां पहले से महंगी हैं और लगातार कीमत बढ़ने से थाली में दाल भी पतली हो रही है। महंगाई ने आटा भी गीला  कर दिया है। 

ऐसे में क्या खाए और क्या छोड़े इस ऊहापोह के बीच रसोई का बजट संभालना मुश्किल हो रहा है। घर हो या बाजार, थाली में आने वाली दाल पतली हो रही है। बढ़ती मंहगाई से थाली में व्यंजनों की लगातार कमी हो रही है। सब्जियों के साथ ही पिछले एक महीने में ही दाल के रेटों में तेजी से उछाल आया है। कुछ दालों के दामों में तो एक महीने के अंतराल में ही  20 से 30 रुपये तक की वृद्धि हुई हैं। बाजार में दाल की आवक कम हो गई है। 

थोक दुकानदारों की मानें तो दाल के तेजी से रेटों में आए उछाल के कारण दाल का स्टॉक रखना कम कर दिया है। फुटकर विक्रेता और आम ग्राहक भी दाल को जरूरत अनुसार ही खरीद रहे हैं। हर घर की रसोई बढ़ते दामों के साथ ही अस्त व्यस्त हो चुकी है। महंगाई ने आम लोगों की कमर तोड़ कर रख दी है।  दूसरी ओर से आटे के रेटों में भी उछाल आ गया है। अब पैकेट का आटा 30 से 40 रुपये किलो तक बिक रहा है।

दाल के रेटों में पिछले एक माह में धीरे धीरे करके उछाल आया है। एक महीने में करीब 20 से 30 रुपये तक दालों के रेट बढे़ हैं। इस कारण स्टॉक पर सीमित रख रहे हैं। आवक भी कम हो गई है। -राजकुमार, दुकानदार

बाजार कई तरह की दाल लेने के लिए गया था। एक-एक किलो लेनी थी, बस आधा- आधा किलो लेकर ही लौट आया। आटा भी 35 रुपये किलो बिक रहा है। रसोई का बजट लगातार बिगड़ रहा है। -महेश ,ग्राहक

दाल- भाव किलो में

अरहर- 120-130

छिलका उड़द- 100-120

धुली उड़द -110-115

चना  दाल  – 60–72

मसूर काली – 95–110

मलका मसूर- 95–105

धुली मूंग -105-120

मूंग छिलका -10-110

आटे का भाव

चक्की – 28-30 रुपये किलो

पैकेट- 30- 40 रुपये किलो



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