सूरजपाल से भोले बाबा बनने का सफर ज्यादा पुराना नहीं है। महज ढाई दशक में ही आध्यात्म के बहाने चमत्कार की यात्रा ने लाखों भक्तों के बीच भगवान विष्णु का स्वरूप बना दिया। भोले बाबा ने अपना पहला आश्रम अपने जन्म स्थान के गांव बहादुर नगर पटियाली में वर्ष 1999 में बनाया। यह आश्रम इतना विशाल और बड़ा बनाया कि इसमें हजारों भक्तों के रुकने और सत्संग में शामिल होने के इंतजाम हैं।




अब तो भोलेबाबा के मैनपुरी, राजस्थान, मध्यप्रदेश व अन्य स्थानों पर आश्रम बने हुए हैं। सेवादार भक्तों ने इन आश्रमों को भव्यता दी है। जहां बाबा सत्संग भी करते हैं और उनका प्रवास रहता है। बाबा तीन भाई और तीन बहने हैं। 

 


बाबा के बड़े भाई भगवानदास की वर्ष 2016 में मौत हो चुकी है, जबकि छोटा भाई राकेश गांव में प्रधान रह चुका है। वह बाबा के साथ ही रहता है। बाबा ने अपने घर, मकान, आश्रम का एक ट्रस्ट बना दिया है।

 


पिछले वर्ष ही पटियाली के रजिस्ट्री ऑफिस में इस ट्रस्ट से जुड़ी कुछ रजिस्ट्रियां हुईं और वह कुछ देर के लिए पटियाली पहुंचे। सेवादार राजपाल सिंह बताते हैं कि भोले बाबा पटियाली के आश्रम पर करीब 12 वर्षों से नहीं आए थे। 

 


पिछले वर्ष ही वह रजिस्ट्री के कार्य से कुछ देर के लिए यहां पहुंचे। बाबा ने श्रीनारायण साकार हरि चैरिटेबल ट्रस्ट बना रखा है। पहले बाबा मानव सेवा आश्रम के रूप में ट्रस्ट चलाते थे, लेकिन वर्ष 2023 में इसमें बदलाव कर दिया।

 




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