मोबाइल ज्यादा देखने, नींद पूरी न होने और दवा का नियमित सेवन नहीं करने से भी मिर्गी रोगियों के दौरे बढ़ जाते हैं। महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभाग की ओपीडी में हर हफ्ते मिर्गी के 10 नए मरीज आ रहे हैं।
मिर्गी मस्तिष्क का रोग है। मेडिकल कॉलेज के न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद कनकने का कहना है कि मस्तिष्क में असंख्य छोटी-छोटी कोशिकाएं होती हैं, जिनमें विद्युत तरंगों का संचार होता है। इन तरंगों से मस्तिष्क कार्य करता है। ऐसी तरंगों के अत्यधिक मात्रा में बनने से शरीर में होने वाली गति, संवेदी या मानसिक परिवर्तन को मिर्गी का दौरा कहते हैं। जब ये दौरे बार-बार आते हैं तो उसे मिर्गी रोग कहते हैं। भारत में मिर्गी रोग के बारे में कई भ्रांतियां हैं। इस रोग का जादू-टोना या भूत-प्रेत से कोई संबंध नहीं है। नियमित रूप से दवाइयों के सेवन से रोगी पूरी तरह ठीक हो सकता है।
उन्होंने बताया कि 60 से 70 फीसदी रोगियों में मिर्गी का कोई स्पष्ट कारण नहीं मिलता है। सिर की चोट, मस्तिष्क ज्वर, लकवा, ट्यूमर, शराब का अधिक सेवन, जन्मजात विकृतियां, जन्म के समय बच्चे के दिमाग में ऑक्सीजन की कमी, अत्यधिक पीलिया, कृमि के लार्वा से मस्तिष्क का संक्रमण, मस्तिष्क की टीबी, तेज ज्वर आदि भी मिर्गी रोग के प्रमुख कारण हो सकते हैं।
दौरा आने पर ऐसे करें प्राथमिक उपचार
रोगी को आराम से बिस्तर या जमीन पर लिटा दें, कपड़े ढीले कर दें।
दौरे के बाद करवट लिटा दें, जिससे मुंह की लार आदि बाहर निकल जाए।
दौरे के समय मुंह में पानी डालने या दवा खिलाने का प्रयास न करें।
दौरा समाप्त होते ही तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें।
