इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि परिवार की आर्थिक स्थिति को नजरअंदाज कर तकनीकी आधार पर मृतक आश्रित की नियुक्ति से इन्कार करना न सिर्फ मनमानापन है, बल्कि कानून की मंशा के विपरीत भी है। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान की अदालत ने फर्रुखाबाद निवासी दीपक कुमार की याचिका स्वीकार कर ली। साथ ही नगर पालिका परिषद फर्रुखाबाद के अधिशाषी अधिकारी को याची की नियुक्ति पर पुनर्विचार कर तीन हफ्ते में नए सिरे से फैसला लेने का आदेश दिया है।

याची के पिता नगरपालिका परिषद में सफाई कर्मचारी थे। 2023 में बीमारी के कारण उनका निधन हो गया। पिता की देखभाल में लगे रहने के कारण ग्राम पंचायत दिलावरपुर में सफाई कर्मचारी के पद पर तैनात मां छुट्टी पर थी। पति की मौत के बाद नौकरी ज्वाइन की पर लगातार परेशानी के कारण उन्होंने 31 मई 2024 को इस्तीफा दे दिया।

इसके बाद याची ने परिवार की दयनीय आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति मांगी पर नगर पालिका प्रशासन ने 26 जुलाई 2025 को अर्जी खारिज कर दी। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट ने पाया कि नगरपालिका परिषद फर्रुखाबाद ने याची की अर्जी यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि उसकी मां भी सरकारी सेवक थी। जबकि, रिकॉर्ड से स्पष्ट हुआ कि मां पर लंबे समय तक काम न करने का दबाव बनाया गया।

इसकी वजह से वह मजबूरी में इस्तीफा देने के लिए विवश हुईं और परिवार आर्थिक संकट में आ गया। कोर्ट ने नगर पालिका परिषद की ओर से नियुक्ति से इन्कार करने वाले आदेश को रद्द कर दिया। कहा कि आश्रित नियुक्ति का उद्देश्य मृतक परिवार को तत्काल आर्थिक सहारा देना है। ऐसे में केवल तकनीकी खामियां बताकर योग्य दावेदार को बाहर करना न्यायसंगत नहीं।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अभी अभी की खबरें