इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग दुष्कर्म पीड़िता की उम्र से जुड़े दस्तावेज की पुष्टि करने वाले गवाह की गवाही नहीं दर्ज करने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने कहा, ऐसे मामलों में पीड़िता की उम्र का निर्धारण अहम होता है। इसे साबित करने का पूरा मौका अभियोजन को दिया जाना चाहिए। इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति अवनीश सक्सेना की अदालत ने प्रयागराज की विशेष अदालत की ओर से गवाह को तलब किए जाने की मांग खारिज करने वाले आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही स्कूल के प्रधानाचार्य को गवाह को तलब कर उनका बयान दर्ज करने का आदेश दिया भी दिया है।
कोर्ट ने पाया कि विशेष लोक अभियोजक की अर्जी पर प्रधानाचार्य को बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने केवल मौखिक रूप से यह कहकर दस्तावेज अपने स्कूल का होने से इन्कार कर दिया। इसके बावजूद ट्रायल कोर्ट ने बिना उनकी विस्तृत गवाही दर्ज किए पीड़िता की उम्र संबंधी दस्तावेज को मानने से सिरे से इन्कार कर दिया। इस आदेश के खिलाफ पीड़िता के परिजन ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने याचिका स्वीकार कर ट्रायल कोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया।
