अब दो के बजाय एक जमानतदार से भी रिहाई मिलेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सामाजिक और आर्थिक स्थिति की वजह से दो जमानतदारों की व्यवस्था नहीं कर पाने पर कई वर्षों से जेल में बंद रहने के कई मामलों का संज्ञान लेकर यह फैसला दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर की एकल पीठ ने गोरखपुर की बच्ची देवी की अर्जी पर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि मजिस्ट्रेट या संबंधित न्यायालय आरोपी की आर्थिक और सामाजिक स्थिति को देखते हुए संतुष्टि पर अब दो के बजाय केवल एक ही जमानतदार पर जमानत स्वीकृत करें। साथ ही जमानत बॉन्ड राशि आरोपी की वित्तीय क्षमता के अनुसार तय की जाए।

 

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि यदि कोई अभियुक्त सात दिनों के भीतर जमानती पेश नहीं कर पाता है तो जेल अधीक्षक को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव को सूचित करना होगा। इसके बाद उसकी रिहाई के लिए एक वकील की व्यवस्था की जाएगी, ताकि वह बाहर आ सके। अगर किसी अभियुक्त पर कई राज्यों में कई मामले दर्ज हैं तो अदालत गिरीश गांधी बनाम भारत संघ के मामले में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार उसे तुरंत रिहा करेगी।

कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया है कि वह मुख्य न्यायाधीश के समक्ष इस आदेश की एक प्रति रखें ताकि नए दिशानिर्देश जारी करने पर विचार किया जा सके। साथ ही कोर्ट ने रजिस्ट्रार (अनुपालन) को निर्देश दिया है कि इस आदेश की एक प्रति सभी जिला न्यायाधीशों, पुलिस महानिदेशक, अपर महानिदेशक (अभियोजन) और निदेशक, न्यायिक प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान, लखनऊ को भेजी जाए। इन अधिकारियों को सुनिश्चित करना होगा कि यह निर्देश प्रभावी ढंग से लागू हो।

 



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