इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारत-पाक युद्ध विराम को लेकर सोशल मीडिया पर पीएम मोदी पर टिप्पणी करने वाले युवक की गिरफ्तारी पर रोक लगाने व एफआईआर मुकदमा रद्द से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रधानमंत्री जैसे संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति के खिलाफ अशोभनीय और अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल की इजाजत केवल इसलिए नहीं दी जा सकती कि किसी व्यक्ति की भावनाएं भड़की हुई थीं। भावनाओं की शर्त पर संविधानिक पद की गरिमा से समझौता नहीं किया जा सकता।
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यह आदेश न्यायमूर्ति जेजे मुनीर और न्यायमूर्ति अनिल कुमार-एक्स की खंडपीठ की अदालत ने आजमगढ़ निवासी अजीत यादव की याचिका पर दिया है। मामला जहानागंज थाना क्षेत्र का है। 10 मई, 2025 को युद्धविराम समझौते के बाद याची ने सोशल मीडिया पर पीएम मोदी की अलोचना की। अपनी पोस्ट में अशोभनीय जैसी कई टिप्पणियां कीं। मामले की एफआईआर जहानगंज थाने में तैनात उपनिरीक्षक लाल बहादुर मौर्य ने दर्ज कराई थी। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
याची बोला…भावनाओं में बहकर लिखी पोस्ट
याची के वकील ने दलील दिया कि पोस्ट भावनाओं में बहकर लिखी थीं। उनका उद्देश्य किसी को व्यक्तिगत रूप से अपमानित करना नहीं था। कोर्ट ने याची की दलील का सिरे से खारिज कर दिया।