Highcourt orders to investigate the death of SI in Machhrehta thana in Sitapur.

मृतक दरोगा मनोज कुमार
– फोटो : amar ujala

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सीतापुर के मछरेहटा थाने में सब इंस्पेक्टर मनोज कुमार की संदिग्ध मौत के मामले में क्षेत्र के आईजी को आगे मुकदमा दर्ज करवाकर जांच कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि किसी अन्य जिले के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से मामले की तफ्तीश कराई जाए। न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जौहरी की खंडपीठ ने मृतक दरोगा की पत्नी गीता देवी की याचिका पर यह आदेश दिया।

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याची ने याचिका दाखिल कर थाने के एसएचओ व अन्य पुलिस कर्मियों पर अपने पति की हत्या करने का आरोप लगाया है। याची का कहना है कि उसके पति एक ईमानदार और कर्तव्य निष्ठ पुलिस अधिकारी थे। उनको अच्छे काम के लिए विभाग की ओर से दो बार प्रशस्ति पत्र भी मिल चुका है। आरोप लगाया कि थानाध्यक्ष और कुछ अन्य पुलिसकर्मी याची के पति से हर विवेचना और गिरफ्तारी में घूस और पैसे की मांग करते थे।

12 अप्रैल 2024 को बेटे को व्हाट्सएप पर मैसेज भेज कर बताया कि एसएचओ की ओर से उन्हें अवैध मांग को लेकर परेशान किया जा रहा है। आरोप है कि इसके बाद उसी दिन थाने में सर्विस रिवॉल्वर से गोली मारकर दरोगा मनोज कुमार की हत्या कर दी गई। एसपी सीतापुर ने प्रेस नोट जारी कर बताया कि सब इंस्पेक्टर मनोज कुमार ने आत्महत्या कर ली है। याची ने एसपी सीतापुर से मुकदमा दर्ज कर जांच कराने की मांग की मगर उन्होंने मुकदमा नहीं दर्ज किया।

एसपी दक्षिणी सीतापुर के नेतृत्व में एक जांच टीम बनाई गई मगर उसने भी आज तक कोई रिपोर्ट नहीं दी। यहां तक की थाने में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज भी अब तक सुरक्षित नहीं की गई है। याची का यह भी आरोप है कि पुलिस उच्चाधिकारी मामले की जांच टाल कर सिर्फ समय गुजारने की कोशिश कर रहे हैं।

कोर्ट ने सुनवाई के दौरान सरकारी वकील से जांच की प्रगति पूछी थी मगर वह भी कोई ठोस जानकारी नहीं दे सके। कोर्ट ने कहा कि मामला एक ईमानदार पुलिस अधिकारी की हत्या के आरोप का है। एसएचओ पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। इसलिए आवश्यक है कि एफआईआर दर्ज कर जांच कराई जाए। कोर्ट ने याचिका निस्तारित कर क्षेत्र के आईजी को इस मामले में आगे एफआईआर दर्ज करवाकर अन्य जिले के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी से मामले की तफ्तीश कराने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा अगर आगे याची को कोई व्यथा हो तो वह फिर कोर्ट को अप्रोच कर सकती है।



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