If the couple is happy in a love marriage then it is not right to hinder it, the court ordered to cancel

अदालत।
– फोटो : अमर उजाला।

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प्रेम विवाह में लड़के पर लड़की के माता-पिता की ओर से दर्ज कराए जा रहे मुकदमों पर कोर्ट ने चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि जब लड़का-लड़की प्रेम विवाह में खुश हैं तो, इसे स्वीकार करने में कोई बाधा नहीं हो सकती। कोर्ट ने याची की अपील को स्वीकार करते हुए लड़के पर लगाए गए सभी मुकदमें रद्द कर दिए। यह फैसला उत्तर प्रदेश बनाम सागर सविता मामले में सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार ने दिया। अधिवक्ता अजय सेंगर ने याचीकर्ता का पक्ष रखा।

जालौन के थाना नदीगांव में प्रेम विवाह करने वाले युवक पर लड़की के पिता ने पॉक्सो सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था। क्योंकि पिता इस शादी से खुश नहीं थे। इस मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ने गहरी चिंता जताई। कहा कि आज भी जो बच्चे अपनी मर्जी से शादी करते हैं, तो उनके माता-पिता समाज के दबाव में आकर शादी को मंजूरी नहीं देते और लड़के के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा देते हैं।

कोर्ट ने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी हम ऐसे मामले लड़ रहे हैं। याची अधिवक्ता ने बताया कि लड़का-लड़की शादीशुदा हैं। साथ ही एक बच्चे के साथ पति-पत्नी के रूप में खुशी पूर्वक रह रहे हैं। हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए मामले की पूरी कार्रवाई रद्द कर दी।



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