{“_id”:”66e4b419d692fd1bf707c774″,”slug”:”if-the-railway-line-is-built-then-tourism-will-also-get-wings-orai-news-c-12-1-knp1009-826951-2024-09-14″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Jalaun News: रेल लाइन निकले तो पर्यटन को भी लगेंगे पंख”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}

जालौन। नगर व आसपास का क्षेत्र पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत समृद्ध है। यदि नगर से रेल लाइन निकली तो पर्यटन की भी अपार संभावनाएं हैं। जिससे न सिर्फ इस क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे बल्कि सरकार को भी राजस्व की दृष्टि से लाभ पहुंचेगा।

Trending Videos

ऐतिहासिक दृष्टि से जनपद जालौन का काफी महत्व रहा है। जनपद में कई ऐसी इमारते हैं जिनका यदि संरक्षण किया जाए तो जनपद में पर्यटन की संभावना के साथ ही लोगों को रोजगार भी मिल सकता है। तत्कालीन डीएम डॉ. मन्नान अख्तर ने जालौन की ऐतिहासिक महत्व की विरासत को संरक्षित करने की दिशा में कदम उठाते हुए ऐतिहासिक स्थलों की वीडियोग्राफी कराई थी। वीडियोग्राफी के साथ ही उन्होंने ऐतिहासिक पर्यटक स्थलों का प्रचार प्रसार भी किया था।

उन्हीं के प्रयास का नतीजा है कि रामपुरा जैसा कस्बा जो कभी बीहड़ क्षेत्र के लिए चर्चित रहा है। वहां अब विदेशों से भी पर्यटक पहुंचते हैं। हालांकि इसमें रामपुरा किले के वारिस केशवेंद्र सिंह जूदेव का भी सराहनीय योगदान है। डॉ. मन्नान अख्तर के स्थानांतरण के बाद इस दिशा में उचित प्रयास नहीं किए गए हैं। जिसके चलते जनपद की ऐतिहासिक विरासत क्षतिग्रस्त हो रही हैं।

जलावन ऋषि की नगरी जालौन नगर में स्थित ताईबाई महल, क्रोंच ऋषि की नगरी में स्थित बारह खंभा, व्यास नगरी कालपी, गोपालपुरा, रामपुरा और जगम्मनपुर का किला ऐतिहासिक रूप से काफी समृद्ध हैं। रामपुरा किला तो पर्यटकों के बीच प्रसिद्ध है। इसके अलावा क्षेत्र में अधिकांश स्थानों पर एतिहासिक विरासत को समेटे हुए कई इमारतें हैं। यदि इन इमारतों को संरक्षित कर पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाए तो क्षेत्र के लोगों को रोजगार की संभावना भी बढ़ेगी और नई पीढ़ी ऐतिहासिक विरासतों से भी परिचित हो सकेगी।

नगर में प्रवेश के साथ ही ताईबाई से नगर व क्षेत्र के लोगों को परिचित कराने के लिए उनके नाम पर द्वार बनाया जा रहा है। जिसका हाल ही में सदर विधायक गौरीशंकर वर्मा ने भूमिपूजन किया गया है। महोबा से भिंड रेलवे लाइन में जालौन नगर के साथ ही बंगरा और माधौगढ़ में भी रेलवे स्टेशन प्रस्तावित हैं। जहां से होकर रामपुरा और जगम्मनपुर, गोपालपुरा आदि स्थानों पर पहुंचने में आसानी होगी।

क्षेत्र में शिक्षित युवा बेरोजगार होकर पलायन को मजबूर होते हैं। महिलाएं भी घर गृहस्थी में उलझी रहती हैं। आज के दौर में बढ़ती मंहगाई के चलते एक व्यक्ति द्वारा घर चलाना मुश्किल हो रहा है। रेलवे लाइन निकलने से ऐसे में इस क्षेत्र में उद्योग धंधों की संभावना भी बन सकती है। सरकार को भी राजस्व की दृष्टि से लाभ पहुंचेगा। इस क्षेत्र से रेलवे लाइन निकाले जाने को लेकर महिलाएं भी उत्साहित हैं।

महिलाओं को भी लगता है कि यहां से रेलवे लाइन निकले तो इस क्षेत्र में विकास की संभावनाएं बढेंगी। महिलाओं का कहना है कि पहले महिलाओं के विचारों को हाशिए पर डाल दिया जाता है लेकिन अब वह स्थिति नहीं है। विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व दर्शाता है कि अब महिलाओं भी किसी से कम नहीं हैं और उनके विचार भी महत्वपूर्ण हैं और नगर की महिलाओं की यही राय है कि नगर से होकर रेलवे लाइन निकलनी ही चाहिए।

मोहल्ला नरोभास्कर निवासी पुष्पा दीक्षित कहती हैं कि प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में देश के पहले रेलमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने 13 मई 1952 को शपथ ली थी। तभी से नगर को रेलवे लाइन से जोड़ने की मांग की जा रही है। लेकिन आज यह मांग अधूरी ही है। महिलाएं भी नगर से होकर रेल निकलते हुए देखना चाहती हैं।

मोहल्ला बैठगंज निवासी सुरेखा पुरवार बताती हैं कि नगर में ताईबाई का ऐतिहासिक महल है। नगर में द्वारिकाधीश मंदिर भी है जो कि पूरे भारत में सिर्फ चार हैं। इसके अलावा क्षेत्र में भी कई ऐतिहासिक इमारतें हैं। जो पर्यटन की दृष्टि से काफी महत्व रखती हैं। इनका सही से प्रचार प्रसार होने और नगर से होकर रेल लाइन निकलने से इसका लाभ न सिर्फ आम जनता बल्कि सरकार को भी होगा।

मोहल्ला जोशियाना निवासी नीलम श्रीवास्तव ने कहा कि जलावन ऋषि की नगरी जालौन के पिछड़ेपन में यहां के जनप्रतिनिधियों का उदासीन रवैया ही रहा है। भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्व जालौन जनपद न सिर्फ पर्यटन की संभावनाओं बल्कि खनिज संपदा से भी भरपूर रहा है। लेकिन जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैये से अभी तक जालौन नगर रेलवे लाइन से वंचित रहा है। यदि जनप्रतिनिधि चाह लेते तो आज नगर से होकर रेल अवश्य ही गुजरती।

मोहल्ला गणेशजी निवासी नविता खन्ना कहती हैं कि सरकार किसी भी राजनैतिक दल की रही हो लेकिन किसी ने जालौन नगर को समृद्ध बनाने में कोई योगदान नहीं दिया है। जनपद के नाम के बाद भी अब तक लोग मूलभूत सुविधाओं को तरसते हैं। चाह लिया जाता तो मुख्यालय भी जालौन में ही होता और जालौन से होकर रेल भी निकलती। लेकिन सरकार में आने के बाद किसी भी राजनेता को इसकी याद नहीं रहती।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *