
अदालत।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि प्रतियोगी परीक्षा की निष्पक्षता में दिशा-निर्देश का पालन भी शामिल हैं। यदि निर्देशों का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया है और कंप्यूटर ने विषय शिफ्ट के आधार पर ओएमआर सीट की जांच नहीं करता तो यह विधिक गलती नहीं है।
कोर्ट ने सहायक अध्यापक भर्ती के घोषित परिणाम की जांच कर नया परिणाम घोषित कर पुराना परिणाम निरस्त करने के सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी के आदेश की वैधता की चुनौती याचिकाओं में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने रंजीत कुमार यादव सहित 177 अभ्यर्थियों की याचिका को खारिज करते हुए दिया है। मामले में 19 फरवरी 21 के शासनादेश के तहत सहायक अध्यापकों की भर्ती की गई। 15 नवंबर 21 को परीक्षा परिणाम घोषित किया गया। सभी याची सफल घोषित किए गए। किंतु, छह सितंबर 22 को संशोधित परिणाम घोषित किया गया। इसमें याचियों को शामिल नहीं किया गया।
याचियों ने चुनौती दी। याचिका का कहना था कि ओएमआर भरने में कोई ग़लती नही की गई है। यह जांच में भी पाया गया। सरकार की तरफ से कहा गया कि ओएम आर सीट गलत तरीके से भरी गई है। विषय पूरी तरह से नहीं भरे गए हैं। जिससे कंप्यूटर ने ओएमआर सीट की जांच नहीं की। याचियों ने विषय सही नहीं भरा। इसकी सफाई देने में भी विफल रहे। याचियों ने दिशा निर्देशों का ठीक से पालन नहीं किया। इसलिए राहत पाने के हकदार नहीं हैं। कोर्ट ने कहा घोषित परिणाम की जांच परीक्षा की निष्पक्षता के लिए की गई है।
