सम्मान समारोह में आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद, एटा, भरतपुर समेत आसपास के जिलों के शहीद और पुलिस में फर्ज निभाते शहीद हुए जवानों की वीरगाथा सुनाई गई। शहीदों की शौर्य गाथा सुनकर लोग उत्साह से भर उठे। हालांकि आंखें भी नम हुईं। देश के शहीद अमर रहें, भारत माता की जय के नारे गूंजने लगे।
मुख्य अतिथि पुलिस कमिश्नर डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने कहा कि देश के लिए शहीद और सीमा पर तैनात सैनिक के बलबूते ही हम ये मंच आज साझा कर पा रहे हैं। उन्होंने शहीदों के परिजन से कहा कि कानून संबंधी किसी भी परेशानी पर सीधे संपर्क कर सकते हैं।
पीली कोठी के स्वामी कुंवर दिनेश प्रताप सिंह ने सभी का आभार जताया। संचालन डॉ. संजय बंसल ने किया। कार्यक्रम में स्क्वाॅड्रन लीडर एके सिंह, न्यूरोसर्जन डॉ. नरेश शर्मा, उद्यमी पूरन डावर, डॉ. नीतू चौधरी, कुंवर आशीष प्रताप सिंह, अरुनिका सिंह, अमित सिंह, अद्वैत सिंह ने भी शहीदों के परिजन को नमन किया।
वजीरपुरा की ऐतिहासिक पीली कोठी में दो घंटे का आयोजन शौर्य, साहस और शहादत के नाम रहा। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से कारगिल तक का खाका खिंचता चला गया। शौर्यगाथा सुनते वक्त कई बार जेहन में जोश और उत्साह का संचार हुआ तो शहादत के बाद की वेदना ने आंखें नम कर दीं। इन सबके बीच भारत माता की जय और वंदे मातरम के नारों से परिसर गूंज उठा।
पूरा आयोजन करीब दो घंटे का रहा। शुरुआत वर्ष 1971 के शहीदों के सेना में भर्ती होने और शहादत की दास्तां से हुई। ऑपरेशन पराक्रम, ऑपरेशन रक्षक और कारगिल में शहीद वीर सपूतों का जिक्र ओजस्वी तरीके से किया गया। वेदना के पल ने परिजन की आंखों से आंसू छलका दिए। अपनों के जाने का गम जरूर था, लेकिन शहादत का गर्व उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था।