India Alliance: There are deep political implications of Congress not contesting the elections, apart from bei

यूपी में चुनाव नहीं लड़ेगी कांग्रेस।
– फोटो : अमर उजाला।

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प्रदेश की 9 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन का दावा किया जा रहा है। लेकिन, असल में दिलों के मिलने पर संशय के बादल मंडराने लगे हैं। कांग्रेस के उपचुनाव नहीं लड़ने के फैसले से साफ है कि सपा से मिली दो सीटों से पार्टी संतुष्ट नहीं थी। दरअसल, कांग्रेस यूपी विधानसभा उपचुनाव में मझवां, फूलपुर, गाजियाबाद, खैर और मीरापुर सीट मांग रही थी। सपा ने गाजियाबाद और खैर सीट छोड़ी। कांग्रेस ने असंतुष्टि जताई। इस बीच सपा की ओर से कहा गया कि फूलपुर सीट भी दे सकते हैं, लेकिन बुधवार को यहां से सपा के मुज्तबा सिद्दीकी ने पर्चा दाखिल कर दिया।

इसके बाद दिल्ली पहुंचे कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने शीर्ष नेतृत्व को पूरी स्थिति बताई। देर रात सपा ने सोशल मीडिया पर एलान किया कि पार्टी सभी नौ सीट पर चुनाव लड़ेगी। बृहस्पतिवार दोपहर बाद दिल्ली में कांग्रेस ने कहा कि भाजपा को हटाने के लिए सीट नहीं, जीत जरूरी है।

सपा का प्रदेश नेतृत्व भले ही गठबंधन कायम होने की बात कह रहा है, लेकिन हालात कुछ और ही हैं। फूलपुर सीट से कांग्रेस के सुरेश यादव का पर्चा दाखिल करना इसका प्रमाण है। सपा की ओर से सीटें नहीं मिलने से कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय नेता ही नहीं, बल्कि कई सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले भी खफा हैं।

लखनऊ समेत कई जगह पर संविधान बचाओ सम्मेलन करने वाले पूर्व जिला जज बीडी नकवी कहते हैं कि आपसी सामंजस्य बनाए रखने के लिए कांग्रेस को सीटें मिलनी चाहिए थीं। सामाजिक चेतना फाउंडेशन न्याय के सचिव महेंद्र मंडल कहते हैं कि कांग्रेस को सीटें नहीं देना सपा की हठधर्मिता है।



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