आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल से अब बांझपन दूर होगा। नवजातों में जन्मजात विकार भी नहीं हो सकेंगे। फतेहाबाद रोड स्थित होटल में तीन दिवसीय ऑब्स एंड गायनी सोसाइटी यूपीकॉन-2025 के पहले दिन विशेषज्ञों ने व्याख्यान में ये बातें कहीं।

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नई दिल्ली की डॉ. सोनिया मलिक ने बताया कि 12 फीसदी महिलाएं बांझपन से जूझ रही हैं। संतानोत्पत्ति के लिए महिलाओं में 18 से 29 साल और पुरुषों में 18 से 40 साल औसत आयु है। अब उच्च शिक्षित और नौकरी के चलते 35-38 की उम्र में महिलाएं शादी कर रही हैं। इससे अंडाणु की गुणवत्ता अच्छी नहीं है। देर रात जागने, एल्कोहल-धूम्रपान, खराब फिटनेस से पुरुषों के शुक्राणु भी खराब मिल रहे हैं। ऐसे में एआई से अच्छी गुणवत्ता के अंडाणु-शुक्राणु चयन कर सकते हैं। बच्चेदानी की बीमारी समेत अन्य वजहों की पता कर इलाज कर सकेंगे। एआई आधारित अल्ट्रासाउंड से गर्भस्थ शिशु की दिव्यांगता, हृदय में छिद्र, मानसिक अपंगता समेत अन्य विकारों को आसानी से चिह्नित कर सकेंगे।

 

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