{“_id”:”68733f850777e9178107eb3c”,”slug”:”innocent-child-dies-in-aligarh-district-hospital-2025-07-13″,”type”:”feature-story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”मरीज से ज्यादा पर्चा जरूरी: उल्टी-दस्त से मासूम परेशान, पर्चे की लाइन में लगे मां-बाप, फिर भी बच न सकी नूर”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
मासूमों को उल्टी-दस्त में जिला अस्पताल लाया गया। वहां पर्चे के लिए मां-बाप लंबी लाइन में लगे। वहां 30 मिनट हो गए। जब बच्ची नूर को डॉक्टर के पास तक लाया गया तो डॉक्टर ने हाथ खड़े कर दिया। नूर जिंदा न थी। डॉक्टर बोले- 20 मिनट पहले आते तो नूर बच जाती।
मासूम नूर नहीं रही, भाई उजैफ उपचाराधीन, बिलखते मां-बाप – फोटो : संवाद
विस्तार
नौशाद और उसकी पत्नी फरीन अपनी पांच साल की बेटी नूर फातिमा और बेटे उजैद को लेकर दोपहर में जिला अस्पताल पहुंचे थे। इन दोनों बच्चों को तेज उल्टी और दस्त हो रहे थे। जब यह दोनों को लेकर इमरजेंसी में गए तो वहां चिकित्सक ने कहा कि नूर में अब कुछ नहीं है। अगर आप बीस मिनट पहले आ जाते तो हम उसे बचा लेते। इतना सुनते ही फरीन फूट-फूटकर रोने लगी। चिल्ला-चिल्लाकर कह रही थी कि हमें तो 30 मिनट पर्चा बनवाने के लिए लाइन में खड़े-खड़े में ही बीत गए। कभी ये कागज मांगते तो कभी कुछ। हमने लाख कहा कि हमारी बच्ची की हालत नाजुक है डॉक्टर को दिखवा दीजिए लेकिन किसी ने नहीं सुनी।
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अलीगढ़ शहर के हड्डी गोदाम निवासी नौशाद की पांच वर्षीय बेटी नूर फातिमा और दो साल का उजैद उल्टी और दस्त से पीड़ित थे। 12 जुलाई की दोपहर को नौशाद व उसकी पत्नी फरीन दोनों बच्चों को लेकर उपचार कराने जिला अस्पताल पहुंचे। उस वक्त ओपीडी में पर्चा बनवाने वालों की लंबी कतार लगी हुई थी। फरीन काउंटर पर पर्चा बनवाने पहुंची तो कर्मचारी ने लाइन में लगने को कहा। साथ ही उनसे आभा आई-डी बनवाने को कहा। फरीन ने जो बताया उसके मुताबिक: उसे आभा आईडी बारे में कोई जानकारी नहीं है। न ही कोई कागजात हमारे पास थे। पर्चा काउंटर पर कहा गया कि यह आनलाइन प्रक्रिया और जरूरी है। हम बेटी की नाजुक सेहत के बारे में कहते रहे मगर पर्चा बनाने वाले नियम गिनाते रहे। इसमें समय बीतता चला गया।
बेटी को तेज उल्टी होने लगी। यह देखकर लाइन में लगे कुछ लोगों ने फरीन से कहा कि पर्चा छोड़ो और बच्चों को लेकर इमरजेंसी में जाओ। दंपती अपने दोनों बच्चों को गोद में लेकर इमरजेंसी की ओर दौड़े। इसमें करीब 30 मिनट का समय गुजर चुका था। वहां पहुंचते ही चिकित्सक ने बच्चों का परीक्षण कर उपचार शुरू किया। मगर कुछ ही देर में नूर फातिमा ने दम तोड़ दिया। जबकि उसके भाई उजैद की हालत और बिगड़ने लगी। गंभीर हालत होने पर चिकित्सकों ने उसे मेडिकल कालेज रेफर कर दिया। चिकित्सक ने कहा कि बच्ची को यहां तक लाने में देरी कर दी। मासूम की मौत के बाद परिजनों में कोहराम मच गया।