
राहुल चाहर
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आगरा के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर राहुल चाहर के पिता देशराज सिंह चाहर के साथ नरसी विलेज के बिल्डर ने 26.50 लाख रुपये की धोखाधड़ी की। पिता बेटे राहुल चाहर के नाम भूखंड का बैनामा कराना चाहते थे, लेकिन दो साल से बिल्डर टालमटोल कर रहा था। पैसा वापस मांगने पर बिल्डर ने पिता को धमकाया। मामले में बिल्डर सहित तीन लोगों के खिलाफ अमानत में खयानत और धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया है।
विश्वकर्मा विहार, शास्त्रीपुरम निवासी देशराज चाहर ने मई, 2024 में अपर पुलिस आयुक्त केेशव चौधरी से शिकायत की थी। दर्ज कराई रिपोर्ट में उन्होंने कहा था कि गैलेक्सी निर्माण प्राइवेट लिमिटेड (राज दरबार ग्रुप) लाजपत नगर, नई दिल्ली के मालिक वासुदेव गर्ग गांव मघटई जगदीशपुरा में नरसी विलेज के नाम से कॉलोनी बना रहे थे। उन्होंने 11 अगस्त 2012 में नरसी विलेज में दो भूखंड बुक किए थे। भूखंड संख्या 182 गीतम सिंह और भूखंड संख्या 587 रुकुमपाल सिंह के नाम से बुक कराए थे। बिल्डर ने वर्ष 2016 में भूखंड संख्या 587 को पांडव नगर के लवकांत और कुशकांत को बेच दिया। जानकारी होने पर उन्होंने बिल्डर वासुदेव से संपर्क किया। बिल्डर ने वर्ष 2017 में 6.80 लाख रुपये वापस करते हुए उन्हें आश्वासन दिया कि भूखंड संख्या 182 को पुराने मूल्य पर ही दिया जाएगा।
चाहर ने बताया कि उन्होंने उक्त भूखंड बेटे राहुल चाहर के नाम वर्ष 2018 में स्थानांतरित कर दिया। जिसका इकरारनामा कंपनी में जमा करा दिया। भूखंड पर मकान बनाने के लिए 26.50 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया। आगरा विकास प्राधिकरण ने कॉलोनी का मानचित्र पास नहीं होने से निर्माण पर रोक लगा दी। वर्ष 2020 में कॉलोनी का मानचित्र पास होने के बाद उसका निर्माण शुरू हुआ।
देशराज चाहर का आरोप है कि घटिया निर्माण सामग्री का प्रयाेग करने से मकान फट गया। वर्ष 2023 में मकान का निर्माण पूरा हुआ। तभी से वह बिल्डर वासुदेव गर्ग से मकान का बैनामा कराने के लिए चक्कर काट रहे हैं लेकिन बिल्डर बैनामा नहीं कर रहा है। भूखंड की तरह उनका मकान भी किसी अन्य को बेचने की तैयारी में है। 5 जून 2024 को कंपनी के कर्मचारी अरुण गुप्ता और पीयूष गोयल से मिले। बैनामा कराने के लिए कहा तो गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी गई।
साक्ष्यों के आधार पर होगी कार्रवाई
डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि देशराज चाहर के पास मकान के लिए किए गए भुगतान के साक्ष्य हैं। जांच के बाद उसी के आधार पर मुकदमा दर्ज किया गया है। साक्ष्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।