Bhupendra Chaudhary said - Election results show where the Jats are

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी।
– फोटो : amar ujala

विस्तार


भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कहना है कि लोकतंत्र में कौन किसके साथ है, यह पार्टी के नंबर तय करते हैं। जाट वोट बैंक के लिए रालोद से गठबंधन के सवाल पर चौधरी ने कहा कि पिछले चुनावों के परिणाम इस बात के गवाह हैं कि कौन किसके साथ है। जनता को सब मालूम है। अध्यक्ष पद के कार्यकाल का एक साल पूरा करने जा रहे भूपेंद्र चौधरी ने बृहस्पतिवार को अमर उजाला से बातचीत में कहा कि योगी सरकार भाजपा के एजेंडे को शत प्रतिशत पूरा कर रही है, लोकसभा चुनाव में सभी 80 सीटें भाजपा जीतेगी। चौधरी ने कहा कि 2017, 2019, 2022 में जिस प्रकार सभी विपक्षी गठबंधन धराशायी हुए थे, 2024 लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया का भी यूपी में वही हाल होगा। पेश है बातचीत…

एक साल में अपनी उपलब्धि क्या मानते हैं?

मुझे मिड सेशन में अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली है। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सभी अभियानों और कार्यक्रमों में यूपी को प्रथम स्थान पर रखा। नगरीय निकाय चुनाव में पार्टी को अभूतपूर्व सफलता मिली। मोदी सरकार के 9 साल पूरे हाेने पर पार्टी ने बहुत अच्छे कार्य किए हैं।

आपकी चुनौतियां क्या हैं?

हमेशा अच्छा और बेहतर काम करने की चुनौती है। नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में जो काम किए जा रहे हैं वह जन जन तक पहुंचाना है।

सरकार और संगठन के बीच समन्वय कैसा है?

सरकार और संगठन के बीच बहुत अच्छा तालमेल है। सरकार और संगठन एक सिक्के के दो पहलू हैं। हमारे लिए गर्व की बात है कि सरकार हमारे एजेंडे पर काम कर रही है। भाजपा का एजेंडा है, जनता को सड़क, बिजली, पानी, स्वास्थ्य, शिक्षा की सुविधा देना। गुंडागर्दी, अराजकता, भ्रष्टाचार से मुक्ति दिलाना।

प्रदेश में अधिकतर सीटों पर भाजपा के सांसद और विधायकों में टकराव है, इसे रोकने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं?

भाजपा में समन्वय है। सार्वजनिक जीवन में लोग अपेक्षा के साथ काम करते हैं। लेकिन जब किसी के पक्ष में पार्टी का निर्णय आता है तो पूरी भाजपा उस निर्णय के साथ खड़ी होती है। चुनाव में पार्टी के कार्यकर्ता नेतृत्व के निर्णय का पालन करते हैं।

एक साल पूरा हो रहा है, अभी तक जिलाध्यक्षों की नियुक्ति और क्षेत्रीय टीमों का गठन क्यों नहीं हो सका है?

प्रदेश की टीम पूरी बन गई है, कुछ जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के लिए रायशुमारी कर रहे हैं। हमारे यहां सामूहिक निर्णय होते हैं, जल्द ही आंशिक पुनर्गठन होगा। आयोगों, निगमों में भी नियुक्तियाें के लिए होम वर्क जारी है। बहुत जल्द ही सरकार के नाम देंगे।

लोकसभा चुनाव में सभी 80 सीटें जीतने और 60 प्रतिशत मत हासिल करने का लक्ष्य कैसे प्राप्त करेंगे?

संगठन लगातार जनता के बीच काम कर रहा है। सरकार बिना किसी भेदभाव के योजनाओं का लाभ जनता तक पहुंचा रही है। सरकार के कामकाज के प्रति जनता का विश्वास है। वह विश्वास चुनाव परिणाम में झलकता है। भाजपा शत प्रतिशत सीटें जीतेगी।

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी और भाजपा सांसद संघमित्रा अपने पिताजी को फिर भाजपा में लाने की बात कर रही हैं। क्या ऐसा प्रयास है?

 संघमित्रा मौर्य हमारी पार्टी की सांसद हैं, लेकिन इस विषय की जानकारी नहीं हैं कि पार्टी स्तर से उनसे इस तरह की बातचीत का क्रम शुरू हुआ है। वह हमारे पार्टी के कार्यक्रमों और अभियानों में जुड़ी हैं, उनकी आस्था मोदी-योगी में हैं।

जाट वोट बैंक के लिए रालोद से गठबंधन की बात चल रही है, क्या आप मानते हैं कि जाट भाजपा से ज्यादा रालोद के साथ हैं?

लोकतंत्र में कौन किसके साथ है यह पार्टी के नंबर तय करते हैं। राजनीतिक परिणाम जिस प्रकार के रहे हैं उसमें कौन किसके साथ है यह सभी जानकारी जनता को है। लेकिन कौन एनडीए का हिस्सा होगा वह केंद्रीय नेतृत्व तय करता है। लेकिन केंद्रीय हम केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय के साथ खड़े होंगे।

मंत्रिमंडल विस्तार कब तक संभावित है?

मंत्रिमंडल विस्तार मुख्यमंत्री का निर्णय है। जो भी निर्णय होगा जल्द सामने आएंगे।

भाजपा दूसरे दलों के प्रभावी नेताओं को तोड़ने का प्रयास कर रही है, क्या भाजपा में उस जाति के प्रभावशाली नेता की कमी है?

राजनीतिक दृष्टि से सार्वजनिक जीवन में आगे बढ़ना है। भाजपा एक विचार से जुड़े लोगों का समूह हैं। हमारी प्रतिबद्धता है कि सभी को साथ लेकर चलेंगे। जो विकास यात्रा में हमारे साथ जुड़ना चाहते है तो सभी को सम्मान के साथ लेकर चलेंगे।

सहयोगी दलों के साथ सीटों के बंटवारे का आधार क्या रहेगा?

सहयोगी दलों के कितनी सीटें मिलेंगी इसका निर्णय केंद्रीय नेतृत्व तय करेगा।

लोकसभा चुनाव में प्रत्याशी चयन का आधार क्या रहेगा?

प्रत्याशी चयन में नए पुराने का मिश्रण रहता है। कुछ नए चेहरे आएंगे और कुछ वर्तमान सांसद ही चुनाव लड़ेंगे। जिताऊ का समीकरण ही होगा। हम कार्यकर्ताओं के मत के आधार पर ही राय बनाते हैं।

यूपी में विपक्षी गठबंधन इंडिया का कितना असर होगा?

अमेठी की जनता कांग्रेस नेता राहुल गांधी से पूछेगी कि चुनाव हारने के बात कितनी बार अमेठी आए, सोनिया गांधी से पूछेगी कि चुनाव जीतने के बाद कितनी बार रायबरेली आईं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तो अपने परिवार के लिए पार्टी चला रहे हैं। अभी तक वे केवल परिवार की सीटें ही तय कर रहे हैं। यूपी में 2017, 2019. 2022 में सभी गठबंधन फेल हुए, 2024 में विपक्षी गठबंधन इंडिया भी फेल होगा।



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