संवाद न्यूज एजेंसी
झांसी। जीएसटी विभाग ने जिन व्यापारियों को राहत देने के लिए समाधान योजना में शामिल किया था वही अब विभाग को चूना लगाने में जुटे हैं। 1,347 व्यापारियों ने रिटर्न दाखिल कर अपना व्यापार शून्य दिखाया है। अब इन पर जीएसटी ने ज्वाइंट कमिश्नर की निगरानी में जांच बिठा दी है।
झांसी और बांदा जोन में सात जिलों के 1,347 व्यापारियों ने अपनी वार्षिक आय डेढ़ करोड़ रुपये बताते हुए समाधान योजना में पंजीकरण कराया था। इन व्यापारियों ने इस साल के जनवरी, फरवरी और मार्च में जीएसटी रिटर्न दाखिल किया है और अपना व्यापार शून्य दिखाया है। जीएसटी विभाग यह मानने को तैयार नहीं है कि इतने व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान खोले लेकिन एक भी रुपये का व्यापार नहीं किया। अब सभी 1,347 व्यापारी जीएसटी विभाग के राडार पर हैं। इन पर ज्वाइंट कमिश्नर कार्यपालक की निगरानी में जीएसटी ने जांच बिठा दी है। जांच में पकड़े जाने पर इन व्यापारियों को जीएसटी का भुगतान तो करना ही होगा, साथ में उतना ही जुर्माना भी चुकाना होगा। जीएसटी पर तीन माह का ब्याज भी देना होगा।
रिटर्न नहीं भरने वालों पर भी बैठी जांच : समाधान योजना में शामिल सात जिलों के व्यापारियों ने जीएसटी रिटर्न तक नहीं भरा है। झांसी के 134, जालौन के 106, ललितपुर के 5, बांदा के 30, हमीरपुर 48, चित्रकूट धाम कर्वी के 105 और महोबा के 28 व्यापारी इसमें शामिल हैं।
– इन जिलों के इतने व्यापारियों की हो रही जांच
झांसी – 244
जालौन – 489
ललितपुर – 20
बांदा – 153
हमीरपुर – 238
चित्रकूट धाम कर्वी – 64
महोबा -139
वर्जन
जीएसटी रिटर्न दाखिल करते हुए 1,347 व्यापारियों ने अपना टर्नओवर शून्य दर्शाया है। ऐसा संभव नहीं है। ज्वाइंट कमिश्नर कार्यपालक के नेतृत्व में जांच बैठाई गई है। गड़बड़ी मिलने पर जीएसटी के साथ उतना ही जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही तीन माह का ब्याज भी जमा करना होगा।
धीरेंद्र प्रताप सिंह, अपर आयुक्त ग्रेड 1, जीएसटी।
– जीएसटी अधिकारियों पर अधिवक्ताओं ने लगाए थे आरोप
झांसी। राज्य वस्तु एवं सेवाकर विभाग के अपर आयुक्त ग्रेड 1 धीरेंद्र प्रताप सिंह ने सोमवार को टैक्स बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं को उनकी समस्याएं सुनने के लिए कार्यालय बुलाया था। अधिवक्ताओं ने अपर आयुक्त को ज्ञापन देते हुए बताया कि विभाग के अधिकारी व्यापारियों का शोषण करते हैं। पंजीकरण के लिए पैसे मांगते हैं। अधिवक्ताओं ने बताया कि यहां तैनात अधिकारियों की भूमिका की जांच कराई जाए, साथ ही व्यापारियों के पंजीकरण के नाम पर होने वाला उत्पीड़न रोका जाए। अपर आयुक्त ग्रेड 1 धीरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि अधिवक्ताओं की मांग पर पड़ताल की जा रही है। व्यापारियों का पूरा सहयोग किया जाएगा।