स्वास्थ्य: फुल बॉडी चेकअप कराने का एक फैशन सा चल गया है….
फ़ुल बॉडी चेकअप के नाम पर, ऐसी ऐसी जाँच मैं देखते हैं कि चक्कर आ जाये। और वो भी २० – ३० पेज की रिपोर्ट।
मुश्किल तब शुरू होती है, जब हम वो टेस्ट रिपोर्ट देखते हैं जो लैब वाले ने हाईलाइट कर दिया। बस फिर क्या, लगे सबका नार्मल रेंज देखने। आम इंसान अब नार्मल देख, बिना बात का बीमार पड़ जाता है, और लगता है चिकित्सक के चक्कर कराने!ख़ास कर के लोग लिपिड कोलेस्ट्रॉल ट्राइग्लिसराइड के पीछे पड़, पहुँच गये पाँच सितारा चिकित्सालय।
किसी ने कहा कि हार्ट चेकअप करा लीजिए। अब दूसरी ओर कहा कि एंजियो करा लो। बात बढ़ते बढ़ते एंजियोप्लस्टी तक पहुँच गई। उधर, किसी ने सीटी स्कैन करा लिया। बता दिया कि ब्रेन सूख गया! अब उसके इलाज के लिए दौड़!
कहीं रिपोर्ट में, कहा कि कैंसर हो सकता है! अब तो पूरे घर की शामत! लगे दौड़ने चिकित्सालयों के द्वार!
इसलिए, मुझे लगता है कि कोई दिक़्क़त हो या अगर किसी चिकित्सक में prescribe किया तो जाँच करायें अन्यथा, इन चक्करों से दूर रहें।
जानबूझकर बीमार पड़ना, बहुत महँगा पड़ सकता है।