Jack Fent battling brain tumor and embarks on 4,000-km run

ब्रेन ट्यूमर की बीमारी से जूझकर भी ब्रिटिश धावक जैक फेंट ने जिंदगी को हारने नहीं दिया। उन्होंने निराशा को पीछे छोड़ उम्मीद, मुस्कान और पॉजिटिविटी को अपनाया। इसी संदेश के साथ निकली उनकी दौड़ शनिवार को आगरा पहुंची, जहां कमला नगर में उनका स्वागत किया गया। इस मौके पर जैक फेंट ने कहा कि जिंदगी लंबी हो या छोटी फर्क नहीं पड़ता, फर्क पड़ता है कि आप उसे मुस्कुराकर कैसे जीते हैं। डॉक्टरों ने उनसे 25 साल की उम्र में कह दिया था कि अब जिंदगी लंबी नहीं है। यह सुनकर जैक फेंट ने कुछ ही समय में ठान लिया कि अगर जिंदगी कम भी है तो इसे मुस्कान और जिंदादिली से जीना होगा। उन्होंने योग, ध्यान और संतुलित आहार से खुद को बदला और निराशा के बजाय उम्मीद को अपनी ताकत बनाया। बीमारी का पता चले 6 साल हो गए हैं। पिछले कई सालों से वह दुनिया के अलग-अलग देशों में दौड़ लगाकर लोगों को जिंदगी को उत्सव की तरह जीने का संदेश दे रहे हैं। इन दिनों जैक सियाचिन से कन्याकुमारी तक 4000 किलोमीटर की दौड़ पर निकले हैं। रोज करीब 50 किलोमीटर दौड़ते हैं और ब्रेन ट्यूमर से जूझ रहे मरीजों के लिए फंड भी जुटा रहे हैं। शनिवार को कमला नगर में आयोजित कार्यक्रम में ताज हाॅफ मैराथन और आगरा स्कूल फाउंडेशन के सदस्यों ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। न्यूरो सर्जन डॉक्टर संजय गुप्ता का कहना है कि बीमारी में दवाएं जितनी ही जरूरी है पॉजिटिविटी और संतुलित जीवनशैली। जैक इसका जीता-जागता उदाहरण हैं, जिनसे मरीजों को प्रेरणा मिलती है। इस दौरान आयोजन समिति के अध्यक्ष संदीप ढल, उपाध्यक्ष डॉ. संजय गुप्ता, इवेंट हेड डॉ. विकास मित्तल, कोषाध्यक्ष आवेग मित्तल, दीपक नेगी और जय यादव भी मौजूद रहे।



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