अमर उजाला ब्यूरो

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झांसी। जिला कारागार में बैरक के सामने फंदा लगाकर जान देने वाले बंदी करन कुशवाहा के शव का मंगलवार को डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट को सीलबंद कर दिया गया। उधर, देर-रात ही बंदी की पत्नी रानी समेत अन्य परिजन रोते-बिलखते अस्पताल पहुंच गए थे। पत्नी समेत परिजनों ने बंदी करन के सुसाइड पर सवाल खड़े करते हुए जांच कराए जाने की मांग की है।

अपने दो छोटे-छोटे बच्चों संग पोस्टमार्टम हाउस पहुंची पत्नी रानी ने बताया कि सोमवार सुबह करन ने उसे फोन किया था। पत्नी ने करन को बताया अब जमानत होने में आठ दिन ही लगेंगे। यह सुनकर करन खुश हो उठा। करन ने कहा कि गांव की जमीन बेंच कर वह लोग बाहर चले जाएंगे। प्राइवेट काम करके गुजर बसर करेंगे। पत्नी का कहना है कि बातचीत के दौरान ऐसा नहीं लगा कि वह सुसाइड करेगा। पत्नी समेत उसके परिजनों ने भी जेल प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए।

बता दें, मऊरानीपुर के टिकरी गांव निवासी करन कुशवाहा अपने पिता की गैर इरादत हत्या के आरोप में जेल में बंद था। सोमवार को उसने बैरक के सामने पेड़ से लटककर जान दे दी। जेल प्रशासन का दावा था कि पिछले तीन साल से जमानत न होने की वजह से वह परेशान था। इस वजह से सुसाइड की जबकि आज पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे पत्नी समेत अन्य परिजनों ने पलटवार करते हुए कहा कि परिवार के लोगों ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में भी याचिका दाखिल की थी। अब आठ दिन में उसकी जमानत होने वाली थी।

परिजनों के मुताबिक करन के परिवार में पत्नी रानी समेत दो बेटे हैं। उसके पास महज डेढ़ बीघा जमीन है। इसी से परिवार का पालन-पोषण हो रहा है। जमीन भी उनके नाम नहीं है। परिजनों ने उसकी मौत पर शंका जाहिर करते हुए जांच कराकर न्याय की गुहार लगाई।

इनसेट

इन सवालों के जवाब मांग रहे परिजन

– जब वह लोग करन के लिए कुछ सामान लेकर जाते थे, उसे बाहर ही रखवा लिया जाता था। करन के पास न कोई तौलिया था और न उसके कोई गमछा। ऐसे में उसके पास तौलिया कहां से आया

– शाम के समय बैरक के बाहर बंदी, बंदी रक्षक समेत सिपाही भी रहते हैं। ऐसे में सबसे सामने उसने कैसे फंदा लगा लिया।

– जेल प्रशासन सबसे पहले उसे फंदे पर लटका देखने वालों को भी सामने नहीं ला रहा।

– वह पिछले करीब तीन साल से जेल के अंदर ही बंद था। अंदर ऐसी कौन सी परिस्थितियां पैदा हुई जिसकी वजह से उसे जान देने पर मजबूर होना पड़ा।

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इस पूरे मामले की रिपोर्ट शासन समेत उच्च अधिकारियों को भेज दी गई है। जल्द ही इस मामले की जांच न्यायिक कमेटी भी करेगी। उसकी जांच रिपोर्ट से मामला साफ हो जाएगा। प्रथम दृष्टया जेल वार्डर को निलंबित किया जा चुका।

विनोद कुमार

वरिष्ठ जेल अधीक्षक



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