रिपोर्ट विजय द्विवेदी (जगम्मनपुर ब्यूरो चीफ)✍️
🧶(उरईजालौन) जगम्मनपुर: भारतीय संविधान में सुदृढ़ लोकतंत्र के लिए न्यायपालिका,कार्यपालिका, विधायका और प्रेस/मीडिया चार स्तंभों पर बेहतर राष्ट्र की कल्पना करते हैं।
इस चौथे स्तंभ को बाकी तीनों के काम पर काम निगाह रखने, एवम् सही व निष्पक्ष सूचनाये समय पर प्रसारित करने का कार्य करना था और अभी भी है। किन्तु आज यही चौथा स्तंभ सबसे ज्यादा खतरे में है। वास्तव में देखा जाए तो यह खुद खतरे में नहीं है बल्कि समाज के लिए खतरा बनता जा रहा है। यह फेक न्यूज एवम् अपनी पक्षपाती विचारधारा समाज पर थोप रहा है। इसके कारण समाज में वैमनस्यता व परस्पर अविश्वसनीयता बढ़ रही है। इसकी वजह खुद मीडिया है, जिस चौथे स्तंभ को प्रथम तीन स्तंभों का निगेहबान मानकर अति सम्मानजनक दर्जा प्राप्त था आज उसी चौथे स्तंभ के इर्द-गिर्द मीडिया के वास्तविक स्वरूप को समझें बगैर कुछ अपरिपक्व युवक छिछोरी लेखनी से लोकतंत्र की आत्मा व पत्रकारिता के मूल उद्देश्यों पर प्रहार करते हुए उसको आहत कर रहे हैं। कुछ बेरोजगार युवक जो नकल से शिक्षित होने की डिग्री मिली होने के कारण प्रत्येक प्रतिस्पर्धा में असफल रहकर बेरोजगारी का दंश झेल रहे हैं उन्हें सोशल मीडिया के माध्यम से पत्रकारिता करके धनोपार्जन करना अधिक सहज और सुलभ लगा और उन्होंने अपने व्यावसायिक/आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए खुद को व पत्रकारिता के मूल उद्देश्यों को अल्प उत्कोच में बेचने की परंपरा में ढाल लिया है ।
पत्रकारिता का मूल तत्व सत्य/वास्तविकता को उजागर कर आम लोगों को जागरूक करना है। पत्रकारिता का उद्देश्य जनता को सूचना उपलब्ध कराना, उन्हें विभिन्न मुद्दों पर शिक्षित करना, और समाज में होने वाली घटनाओं पर नज़र रखना है। इस प्रकार, पत्रकारिता समाज की एक महत्वपूर्ण सेवा है।
पत्रकारिता का सबसे महत्वपूर्ण तत्व सत्यता है। पत्रकार को हमेशा सही और सटीक जानकारी देनी चाहिए और उसे किसी भी तरह से गलत या भ्रामक जानकारी नहीं देनी चाहिए।
पत्रकारिता में निष्पक्षता भी बहुत आवश्यक है। पत्रकार को किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं करना चाहिए और उसे सभी पक्षों को समान रूप से प्रस्तुत करना चाहिए।
पत्रकारिता में स्पष्टता भी बहुत जरूरी है। पत्रकार को अपनी जानकारी को साफ और सरल भाषा में प्रस्तुत करना चाहिए ताकि जनता उसे आसानी से समझ सके। इसके साथ पत्रकारिता में व्यापकता बहुत ही महत्वपूर्ण है। पत्रकार को किसी भी जानकारी को केवल एक तरफ से नहीं प्रस्तुत करना चाहिए और उसे सभी पक्षों को शामिल करना चाहिए। इन तत्वों के अलावा, पत्रकार में भी कुछ अन्य महत्वपूर्ण गुण भी होते हैं जैसे कि विवेकशीलता, सहानुभूति, और एक मजबूत नैतिकता। पत्रकारिता में ये सभी गुण एक साथ मिलकर एक मजबूत आधार बनाते हैं और पत्रकार को एक जिम्मेदार और विश्वसनीय स्रोत बनाते हैं। इन्हीं कारणों से पत्रकार और पत्रकारिता दोनों सम्मानित होते हैं।
पत्रकारिता का अवमूल्यन
आज से दो दशक पूर्व तक जिस पत्रकार एवं पत्रकारिता को आदरणीय व विश्वसनीय माना जाता था आज उसे ही संदेह व हेय दृष्टि से देखा जा रहा है इसका कारण पत्रकारिता के मूल्यों, सिद्धांतों और भूमिकाओं में गिरावट या कमी आना। यह तब होता है जब पत्रकारिता को विभिन्न कारकों के कारण कमजोर किया जाता है, जैसे कि व्यावसायिक दबाव, सरकार का नियंत्रण, सूचना का गलत प्रचार, या गलत जानकारी एवं सामाजिक सरोकार से दूर अपने उद्देश्य की पूर्ति करना रह जाता है।
पत्रकारिता का उद्देश्य समाज को बेहतर बनाना है, लेकिन जब पत्रकारिता केवल पैसे कमाने का जरिया बन जाती है, तो यह अवमूल्यित हो जाती है। जब पत्रकारिता सत्य के बजाय, गलत जानकारी या भ्रामक सूचना फैलाती है, तो यह अवमूल्यित हो जाती है। जब पत्रकारिता को सरकार या अन्य संगठनों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, तो यह अवमूल्यित हो जाती है।
जब पत्रकारिता में ईमानदारी, निष्पक्षता, जिम्मेदारी और नैतिकता की कमी होती है, तो यह अवमूल्यित हो जाती है।
उदाहरण स्वरुप जब पत्रकारिता सनसनीखेज और उत्तेजक खबरों पर ध्यान देती है, तो यह पीत पत्रकारिता कहलाती है। जब पत्रकारिता को विज्ञापन के माध्यम से प्रभावित किया जाता है, तो यह व्यावसायिक दबाव के कारण अवमूल्यित हो सकती है।
जब पत्रकारिता में सरकार , स्थानीय जनप्रतिनिधियों या प्रभावशाली लोगों किसी अधिकारी को प्रसन्न करने हेतु कलम चलाई जाती है तब पत्रकारिता अवमूल्यित हो सकती है। अवमूल्यित पत्रकारिता के कारण, समाज को सत्य और निष्पक्ष जानकारी नहीं मिलती है। जिससे समाज का प्रत्येक वर्ग प्रभावित होता है। लोकतंत्र का नुकसान होता है, क्योंकि लोग सच्चाई और निष्पक्षता पर विश्वास नहीं करते हैं।
पत्रकारिता का अवमूल्यन एक गंभीर समस्या है, जो समाज के लिए हानिकारक है। इसे रोकने के लिए, पत्रकारिता को स्वतंत्र, सत्यनिष्ठ, और नैतिक मूल्यों के आधार पर काम करना चाहिए। कुछ हद तक माना जा सकता है कि मीडिया निष्पक्ष नही हो सकती है लेकिन खबर तो निष्पक्ष हो सकती है , ध्यान रहे कि खबर को पढ़ रहे पाठक व दर्शक बुद्धिमान होते हैं वह खुद अनुमान लगा लेते है कि यह खबर निष्पक्ष है या नही। अतः अपनी विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए निष्पक्ष और सटीक खबर ही लिखें तो बेहतर होगा।
मीडिया की यह बड़ी जिम्मेदारी बनती है कि सम्वेदनशील स्थितियों में समाज की अखंडता को बनाये रखने के लिए बेबाक व तर्कहीन सूचना को समाज मे फैलाने से बचें।
समाचार लिखते समय पत्रकार को अपने लेख या खबर की प्रमाणिकता के लिए “कौन, क्या, कब, कहाँ और क्यों” यह सभी ऐसे प्रश्न हैं जो एक लेखक को अपनी खबर लिखते समय पूछने और उत्तर देने में सक्षम होना चाहिए। यदि वे इनमें से किसी भी प्रश्न का सफलतापूर्वक उत्तर देने में असमर्थ हैं, तो लेखन पर्याप्त विस्तृत नहीं हो सकता है और पाठकों की रुचि खत्म हो सकती है या वे आपके लेखन से संतुष्ट या सहमत नहीं हो सकते हैं।
अपने बड़ों से प्रतिस्पर्धा नहीं अनुभव प्राप्त करे
प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तमाम पत्रकार उम्रदराज हो रहे लेकिन उनमें अनुभव की कमी नहीं है । उन्होंने पत्रकारिता के साथ जीवन जिया है । मुझे स्मरण है कि आज से 20-25 वर्ष पहले तक विभिन्न संगठनों देश प्रदेश में तीन दिवसीय से लेकर सात दिवसीय पत्रकार सम्मेलन आयोजित होते थे जिसमें विभिन्न प्रदेशों के पत्रकार एकजुट होकर लेखन विधा से लेकर पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों व अपने पत्रकार जीवन के अनुभवों साझा कर नवोदित पत्रकारों में शिक्षा व ऊर्जा का संचार करते थे । लेकिन अब पत्रकारिता मिशन कम आर्थिक आवश्यक्ताओं की पूर्ति का साधन बन गई है। पत्रकारिता के माध्यम से धन कमाने की अंधाधुंध दौड़ ने सीनियर जूनियर पत्रकारों की मर्यादा को भी खत्म कर दिया है। जिसके मन में जो आ रहा है मोबाइल पर सोशल मीडिया एवं सिर्फ पीडीएफ पर बनने वाले अखबारों में वह लिख रहा है जिससे पत्रकारिता और पत्रकार दोनों का मान मर्दन हो रहा है। कुछ स्वघोषित पत्रकार जिन्हें पत्रकारिता व लेखन विधा का ककहरा भी मालूम नहीं है वह अपने को सीनियर पत्रकारों से श्रेष्ठ मानकर जिस ऊटपटांग ढंग से पत्रकारिता करने का तमाशा कर रहे हैं वह स्वयं उनके लिए समाज के लिए एवं लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की मर्यादा के लिए घातक है।
