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पर्वत सिंह बादल उरई ( ब्यूरो चीफ जालौन)✍️ 🧶 🧶 🧶 🧶 🧶 (उरईजालौन)उरई: उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार प्रभारी सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अर्पित सिंह ने आज जिला कारागार उरई में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन एवं साप्ताहिक भ्रमण किया। उन्होंने विभिन्न बैरकों का भ्रमण किया और वहां निरूद्ध बन्दियों से पूछ-तांछ करते हुये उनकी समस्यों को जाना समझा तथा जेल प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये। इस मौके पर जेल प्रशासन के  अधिकारीगण मौजूद रहे। 
निरीक्षण में प्रभारी सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अर्पित सिंह ने बन्दियों के मुकदमों की पैरवी, उनको दी जाने वाली विधिक सहायता/सलाह और महिला बन्दी व उनके साथ रह रहे बच्चों की चिकित्सा व खान-पान इत्यादि के बारे में जाना-परखा। उन्होंने कई बन्दियों से अलग-अलग जानकारी ली एवं जेल प्रशासन को निर्देशित किया कि कोई भी ऐसा बन्दी जिसका निजी अधिवक्ता न हो अथवा विधिवत् ढंग से न्यायालयों में पैरवी न हो पा रही हो, को विधिक सहायता दिलाये जाने हेतु आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित करें। यदि किसी विचाराधीन बन्दी को पैरवी हेतु सरकारी खर्चे पर अधिवक्ता की आवश्यकता हो तो सम्बन्धित न्यायालय में बन्दी की ओर से प्रार्थनापत्र दिलवाया जाना सुनिश्चित करें ताकि एमाइकस क्यूरी (न्यायमित्र) की सुविधा उपलब्ध हो सके। इसीप्रकार जो बन्दी दोषसिद्ध हो चुके हैं, की अपील न हो पाने की स्थिति में नियमानुसार जेल अपील करायी जाये। इसमें जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से आवश्यक समन्वय बनाकर ऐसे प्रकरणों का निर्धारित समयावधि में निस्तारण किया जाये ताकि अपील की मियाद समाप्त न होने पाये। जेल अपील कराये जाने में यदि कोई विधिक समस्या आ रही है तो उसको जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के संज्ञान में लाते हुये द्वारा उचित माध्यम माननीय उच्च न्यायालय विधिक सेवा समिति से यथा आवश्यक पत्राचार किया जाये।
विधिक साक्षरता शिविर की अध्यक्षता करते हुये प्रभारी सचिव श्री अर्पित सिंह ने वरिष्ठ नागरिकोें के अधिकार के सम्बन्ध में जानकारी दी। उन्होंने उपस्थित बन्दियों से उनके अधिकारों के बारे में पूंछतांछ की और सभी को समझाया। 
  अस्सिटेंट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल श्री अभिषेक पाठक ने इस मौके पर बन्दियों को प्ली-वार्गेनिंग स्कीम, समयपूर्व रिहाई और बन्दियों के अधिकारों के सम्बन्ध में भी विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यदि कोई विचाराधीन बन्दी अधिकतम 07 वर्ष तक की सजा के मामलों में विचाराधीन है, तो जिन्होंने सजा के तौर पर कुछ अवधि जेल में बिता ली हो, वह पीड़ित पक्ष से समझौता कर उसे उचित मुआवजा देकर अपनी सजा न्यायालय से कम करा सकते है, लेकिन इस योजना का लाभ उनको नहीं मिलेगा जिन्होंने देश के विरूद्ध, महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध अथवा आर्थिक अपराध किया हो ।
इस अवसर पर प्रभारी जेल अधीक्षक/कारापाल श्री प्रदीप कुमार, जेल चिकित्साधिकारी डाॅ0 राहुल बर्मन, उप कारापाल श्री अमर सिंह एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, जालौन के डाटा इण्ट्री ऑपरेटर श्री दीपक नरायण भी उपस्थित रहे।

By Parvat Singh Badal (Bureau Chief) Jalaun✍️

A2Z NEWS UP Parvat singh badal (Bureau Chief) Jalaun ✍🏻

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