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जिला क्राईम रिपोर्टर जालौन पर्वत सिंह बादल ✍🏻



(उरई जालौन) उरई ; राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली (नालसा) एवं उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देशानुसार एक दिवसीय रिफ्रेशर प्रशिक्षण (ओरियंटेशन) जनपद जालौन में संचालित ‘लीगल एड क्लीनिक‘ प्रायोजना के अन्तर्गत विभिन्न तहसील क्षेत्रों में कार्यरत समस्त पीएलवी का प्रशिक्षण कार्यक्रम आज जिला दीवानी न्यायालय सभागार उरई में  जनपद न्यायाधीश लल्लू सिंह के कुशल मार्गदर्शन में आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सहभागी पैरालीगल वालंटियर्स को प्रशिक्षक/रिसोर्स-पर्सन द्वारा एक दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सचिव/अपर जिला जज श्री महेन्द्र कुमार रावत ने कहा कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण का शुरुआत से ही लक्ष्य रहा है कि न्याय को आपके दरवाज़े तक बिना रोक-टोक के पहुँचाया जाये। इसी बात को ध्यान में रखते हुये वर्ष 2009 से प्राधिकरण द्वारा पैरा-लीगल वालंटियर नाम की एक स्कीम शुरू की गयी। जिसके अंतर्गत समाज के विभिन्न क्षेत्रों से आये लोगों का चयन करके उन्हें न्यायिक प्रशिक्षण दिया जाता है। पैरा-लीगल वालंटियर का मतलब यह है कि एक ऐसा व्यक्ति जिसे कानून का बुनियादी ज्ञान तो है लेकिन वह पूर्ण रूप से वकील नहीं है। इनका मुख्य काम समाज और न्याय संस्थाओं के बीच की दूरी को कम करना है तथा समाज के कमजोर वर्गों तक पहुंच बनाकर उन्हें दैनिक जीवन में आ रही कानूनी परेशानियों को दूर करवाना है।
पैरालीगल वालंटियर द्वारा नागरिकों को विवादो/समस्याओं की प्रकृति के संबंध में जागरूक कर उन्हें विधिक सेवा प्राधिकरणों के माध्यम से अपने प्रकरणों/विवादों को निराकरण हेतु सम्पर्क करने हेतु प्रोत्साहित/जागरूक करना तथा पीएलवी द्वारा गांव-गांव जाकर न्याय के लिए तरस रहे ऐसे हीं लोगों को त्वरित न्याय प्रदान करने के लिए उन्हें सही रास्ता बताना है। पैरा लीगल वालंटियर जनता के छोटे-छोटे झगड़ों में मध्यस्थता की भूमिका निभा कर समझौता करवाने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। इसी क्रम में उन्होने ‘‘पराविधिक स्वयंसेवक प्रायोजना‘‘ के अन्तर्गत पीएलवी को क्या करना है और क्या नहीं करना ? के सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी दी ।
वरिष्ठ विद्वान अधिवक्ता श्री यज्ञदत्त त्रिपाठी द्वारा भारत के संविधान की उद्देशिका में निहित सिद्धान्तों एवं राज्य कि नीति निर्देशिक तत्वों के बारे में विस्तृत से व्याख्यान दिया गया। हमें जीवन भर अपने मौलिक कर्तव्यों और देश का कानून का पालन करने का प्रण लेना चाहिए। देश का अच्छा और जिम्मेदार नागरिक बनने से न सिर्फ संविधान का मकसद पूरा होगा बल्कि संविधान निर्माताओं के सपनों के राष्ट्र का निर्माण होगा। संविधान की प्रस्तावना में वर्णित स्वतंत्रता का महत्व समझाते हुये पराधीनता को त्याग राष्ट्रहित में कार्य करने के लिये प्रेरित किया। यह लोककल्याणकारी और समाज के सबसे उपेक्षित वर्ग व समुदाय के हितों की रक्षा व संरक्षण करने में समर्थ है।
बुन्देलखण्ड विधि महाविद्यालय के सहायक प्रवक्ता श्री लक्ष्मन रोहित दुबे द्वारा भारतीय संविधान में प्रदत्त मूल अधिकारों,  अनुच्छेद 39 ए के तहत प्रदान की जाने वाली विधिक सहायता एवं मूल कर्तव्यों के  सम्बन्ध में प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित पराविधिक स्वयंसेवकों को जानकारी दी गयी। हम सभी की यह जिम्मेदारी है कि संविधान में दिये गये नागरिकों के मौलिक कर्तव्यों का हर हाल में पालन करें, ताकि  अधिकारों के लिये संघर्ष की स्थिति ही उत्पन्न न हो। संविधान के विभिन्न अनुच्छेद, प्रस्तावना, नागरिकों के मूल कर्तव्य एवं अधिकारों के विषय पर सभी विस्तृत जानकारी दी।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्राधिकरण कार्यालय की लिपिक श्रीमती सरोज तखेले, डीईओ श्री दीपक नरायन, कनिष्ठ लिपिक श्री कृष्णगोपाल विश्वकर्मा एवं श्री शुभम् शुक्ला सहित जनपद जालौन के समस्त पीएलवी उपस्थित रहे।

By Parvat Singh Badal (Bureau Chief Jalaun)✍️

A2Z NEWS UP Parvat singh badal (Bureau Chief) Jalaun ✍🏻 खबर वहीं जों सत्य हो

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