उरई। बच्चों के साथ मायके में ईद मनाने आई महिला पर सोते समय कमरे का छप्पर गिर गया। मलबे में दबकर महिला और उसके दो बच्चों की मौत हो गई और महिला की मां घायल हो गई। घटना शहर के लहरियापुरवा स्थित फकीरनटोला में शनिवार सुबह लगभग चार बचे की है। चीख पुकार सुनकर दौड़े मोहल्ले के लोगों ने मलबा हटाकर सभी को कमरे से बाहर निकाला और जिला अस्पताल ले गए। जहां डाक्टरों ने महिला और दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया। मां का इलाज चल रहा है।

शहर कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला लहारियापुरवा स्थित फकीरनटोला निवासी नफीस की 25 वर्षीय बेटी साबिया दो दिन पहले मायके में ईद मनाने आई थी। जालौन कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला भवानीराम निवासी साबिया के साथ में उसका दो साल का बेटा फैज और छह माह की बेटी अनाविया भी आए थे। शुक्रवार रात खाना खाकर साबिया, बेटा, बेटी और उसकी 50 वर्षीय मां नूरजहां छप्पर वाले कमरे में सोने चली गई। साबिया के पिता नफीस और उसका भाई इम्तियाज छत पर सो रहे थे। शनिवार सुबह लगभग चार बजे अचानक छत का छप्पर भरभराकर गिर गया। चारों लोग मलबे में दब गए। छप्पर गिरने की आवाज से जागे भाई और पिता ने शोर मचाया तो आसपास के लोग मौके पर पहुंचे और सभी को मलबे से निकालकर जिला अस्पताल पहुंचाया। अस्पताल में डाॅक्टरों ने साबिया, पुत्र फैज और पुत्री अनाविया को मृत घोषित कर दिया। सूचना पर पहुंचे पति सद्दाम तीनों के शवों को जालौन ले गए। घटना की जानकारी मिलते ही सीओ गिरजाशंकर त्रिपाठी, कोतवाल शिवकुमार राठौर मौके पर पहुंचे और जांच करते हुए मोहल्ले के लोगों से जानकारी ली। परिजनों ने बताया कि साबिया के पति सद्दाम की जालौन में ऑटो पार्ट्स की दुकान है।

हादसे की सूचना पाकर जालौन से उरई अपनी ससुराल आए पति सद्दाम ने जब पत्नी साबिया और दोनों मासूम बच्चों का शव देखा तो वह गश खाकर गिर पड़ा। उसके मुंह से यही शब्द निकला कि मालिक मेरे किस कसूर की दी है मुझे सजा। वह फफककर कभी पत्नी को देखता तो कभी बच्चों को कलेजे से लगाकर फफक पड़ता। उसने कभी सोचा भी नहीं था कि उसके सामने उसकी हंसती खेलती दुनिया ऐसे ही वीरान हो जाएगी। लोगों ने उसे बहुत समझाया लेकिन उसके आंख से आंसू बंद नहीं हो रहे हैं। उसकी हालत देख आसपास खड़े लोगों के भी आंसू निकल पड़े। खुशियों का त्योहार ईद उसके लिए इतना बड़ा मातम लेकर आएगा। उसने कभी सोचा भी नहीं था।

मोहल्ले में ईद को लेकर पकवान बन रहा था। उसमें मोहल्ले के एक दर्जन से अधिक लोग मौजूद थे। सुबह जैसे ही छप्पर गिरने की आवाज आई तो सभी नफीस के घर की तरफ दौड़ पड़े। जब लोग पहुंचे तो चारों लोग मलबे में दबे थे। लोगों ने मलबे को हटाकर चारों को बाहर निकाला लेकिन सबिया के परिवार को फिर भी नहीं बचा पाए। मोहल्ले के ही सद्दाम, नसीम आदि ने बताया कि जानकारी पर लोग पहुंचे मलबा हटाने के दौरान उनके हाथों में चोट भी लग गई। अफसोस है कि वे उन्हें नहीं बचा पाए।

नफीस ने बताया कि वह अपने पुत्र इम्तियाज के साथ छत पर सो रहे थे। दुकान वाले कमरे में पंखा लगा होने से पत्नी नूरजहां बेटी साबिया व नाती, नातिन वहां सो रहे थे। सुबह जैसे ही छप्पर गिरा तो उन्होंने शोर मचाना शुरू किया। मोहल्ले के लोगों के सहयोग से सभी को जल्दी ही निकाल लिया गया लेकिन छप्पर में लगी बल्ली तीनों के ऊपर गिर गई जिससे उनकी घटना स्थल पर ही मौत हो गई।



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