जालौन। ब्लॉक क्षेत्र में अधिकारियों और कर्मचारियों की मनमानी के चलते चार जिंदा लोगों को को मृत दर्शाकर उनकी वृद्धावस्था पेंशन रोक दी गई। वृद्ध पेंशन पाने के लिए दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।
ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम सहाव में अधिकारियों और कर्मचारियों की कागजों पर ही काम करने की कार्यप्रणाली का एक मामला सामने आया है। सहाव ग्राम पंचायत में सचिव जितेंद्र पटेल को वृद्धावस्था पेंशन में जीवित व्यक्तियों का सत्यापन करना था। सचिव ने घर पर बैठकर कागजों पर ही सत्यापन कर गांव के चार वृद्धों को मृत दर्शाकर रिपोर्ट भेज दी। गांव के 79 वर्षीय मुन्ना शाह, 74 वर्षीय मूर्ति देवी, 71 वर्षीय मम्मू शाह, 76 वर्षीय मुला को कागजों में मृत दर्शा दिया गया। रिपोर्ट के आधार पर उनका नाम वृद्धावस्था पेंशन पाने वालों की लिस्ट में से हटा दिया गया। जब दो किस्तों की धनराशि वृद्ध व्यक्तियों के खाते में नहीं आई तो उन्होंने भागदौड़ शुरू की। शुरू में बताया गया कि उनके खाते की केवाईसी नहीं हुई है इसलिए धनराशि नहीं पहुंच रही है। खाते की केवाईसी कराने के बाद भी जब धन नहीं आया तो उन्होंने समाज कल्याण विभाग में संपर्क किया। जिसमें बताया गया कि वह तो मर हो चुके हैं, इसलिए उनका नाम लिस्ट से हटा दिया गया है। गांव के चंद्रशेखर ने आरोप लगाया कि ग्राम पंचायत सचिव जितेंद्र पटेल लिस्ट के सत्यापन के लिए उक्त घरों में नहीं पहुंचे। घर बैठकर लिस्ट तैयार कर ली गई। प्रधान प्रतिनिधि सुशील कुमार ने डीएम से मृत दर्शाए गए व्यक्तियों की पेंशन शुरू कराने की मांग की है। इस बाबत जब ग्राम पंचायत सचिव जितेंद्र पटेल से संपर्क करना चाहा तो कई बार संपर्क करने के बाद भी उनका फोन नहीं उठा। वहीं, बीडीओ संदीप यादव ने बताया कि वह मामले की जानकारी कर रहे हैं। जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जिला समाज कल्याण अधिकारी ने लगभग चार माह पूर्व पांच जनवरी को बीडीओ को लिखित रूप से सत्यापन के दौरान मृत दर्शाए गए मुन्ना शाह को लेकर सत्यापन अधिकारी के खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही और लाभार्थी का आवेदन पुन: ऑनलाइन कराने के निर्देश दिए थे। चार माह बीतने के बाद भी न तो सत्यापन अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई और न ही मृतकों को वृद्धावस्था पेंशन का लाभ मिलना शुरू हुआ है।