संवाद न्यूज एजेंसी

आटा। एक करोड़ की लागत से बनी सड़क तीन माह में ही उखड़ जाने से महकमे की पोल खुल गई है। लोगों का कहना है कि अधिकारियों ने ठेकेदार के साथ मिलीभगत करके सरकारी धन का बंदरवांट किया है, जिससे सड़क कुछ ही दिन में गड्ढों में तब्दील हो गई।

बीस वर्ष से अधूरी पड़ी अकोढ़ी हरिशंकरी नहर को जोड़ने वाली तीन किलोमीटर सड़क से करीब एक दर्जन गांवों के लोग लाभाविंत होते हैं, लेकिन सड़क कच्ची होने से लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा था। जिससे लोग लगातार जनप्रतिनिधियों व प्रशासन से इस सड़क के लिए गुहार लगा रहे थे। शासन से एक करोड़ का बजट जारी होने के बाद उसको पीडब्ल्यूडी विभाग ने बनवा दिया, लेकिन बनने के तीन माह बाद ही सड़क उखड़ने लगी। सड़क जगह-जगह धंसने से नालियों में तब्दील हो गई।

इस सड़क से गढ़ा, कुसमरा, इमिलिया बुजुर्ग, परासन ,अमीसा, कहटा बारा, जोराखेरा सहित एक दर्जन से अधिक गांवों के लोग प्रतिदिन यात्रा करते हैं। गढ़ा निवासी मलखान सिंह, अमीसा निवासी रविंद्र पाल, राजकुमार फौजी,इमिलिया निवासी अजीत सिंह, शीपू, आरिफ, परासन निवासी सुशील तिवारी, धमेंद्र सिंह आदि का कहना है कि इस सड़क निर्माण के लिए हम लोगों ने बीस साल का इंतजार किया था तब जाकर सड़क बनकर तैयार हुई थी। मगर तीन माह में ही ओवरलोड ट्रक निकलने से सड़क कई जगह धंस गई, सड़क पर कई जगह से रोडियां निकलने लगी है। ग्रामीणों का आरोप है कि ठेकेदार ने अधिकारियों की मिलीभगत से निर्माण में गुणवत्ता विहीन कार्य कराया है। जिससे यह सड़क तीन माह के भीतर उखड़ने लगी है।

लोकनिर्माण विभाग के जेई अनिल कुमार का कहना है कि सड़क से भारी वाहनों के निकलने सड़क उखड़ गई है, जैसे ही बरसात खत्म होती है सड़क को ठीक करा दिया जाएगा।

तीस किलोमीटर की घटी थी दूरी

सड़क बनने के बाद लोगों में खुशी थी कि उनको अब अपने गांव जाने के लिए तीस किलोमीटर का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। लेकिन सड़क के उखड़ जाने से लोगों में जिम्मेदारों के प्रति खासा रोष है।



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