उरई। डीपीआरओ कार्यालय में हुए गबन की जांच के लिए डीएम ने शनिवार को तीन सदस्यीय टीम गठित की। टीम को एक सप्ताह में जांच कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। उधर पुलिस ने डीपीआरओ की तहरीर पर कंप्यूटर ऑपरेटर (अकाउंटेंट), सफाई कर्मचारी और चाय वाले के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर तीनों को हिरासत में ले लिया है।
सीडीओ भीमजी उपाध्याय ने शुक्रवार डीपीआरओ कार्यालय का निरीक्षण किया था। अभिलेख में प्रचार प्रसार की मद्द से तीन खातों में लगभग 59 लाख रुपये के लेनदेन की कोई जानकारी नहीं मिली। बारीकी से अध्ययन किया तो पता चला कि कार्यालय में वर्ष 2019 से लिपिक का कार्यभार देख रहे मनोज कुमार वर्मा ने सफाई कर्मचारी विकेंद्र कुमार व चाय बेचने वाले शैलेंद्र के खाते में राशि भेजी, लेकिन उसका हिसाब किताब नहीं मिला।
सूचना पर पहुंची एसओजी, सर्विलांस व कोतवाली पुलिस मौके पर पहुंची और आरोपी मनोज को हिरासत में ले लिया था। मामला डीएम चांदनी सिंह के संज्ञान में आते ही उन्होंने तीन सदस्यीय टीम गठित कर पूरे मामले की जांच एक सप्ताह में करने के लिए कहा है। टीम में सीडीओ भीमजी उपाध्याय , एडीएम संजय कुमार व मुख्य कोषाधिकारी आशुतोष चतुर्वेदी हैं। शनिवार को छुट्टी होने के बाद भी डीपीआरओ कार्यालय खुला रहा, लेकिन कर्मचारी और अधिकारी कुछ भी बताने से बचते रहे। पूरे दिन कार्यालय में अफरा तफरी का माहौल बना रहा।
एक लाख रुपये के लालच में फंस गया चाय वाला
डीपीआरओ कार्यालय के पास चाय की दुकान खोले शैलेंद्र कुशवाहा का कार्यालय में चाय देने के लिए प्रतिदिन आना जाना होता था। तभी उसकी मुलाकात सफाई कर्मचारी विकेंद्र से हुई। उसने उसको एक लाख रुपये देने की बात कही। उसके कहने पर मनोज वर्मा ने शैलेंद्र के खाते में 6 लाख 30 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। पांच लाख विकेंद्र को देने के बाद एक लाख शैलेंद्र ने अपने खर्चे के लिए रख लिए। शैलेंद्र भी खुश था कि उसे बिना कुछ किए ही एक लाख रुपये मिल गए।
जालौन से मनोज और विकेंद्र के हैं संबंध
डीपीआरओ की संस्तुति पर कंप्यूटर ऑपरेटर को अकाउंटेंट का कार्यभार मिलते ही जालौन कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला कछोरन निवासी मनोज कुमार वर्मा के पास वित्तीय पावर आ गया। इस पर वह सरकारी धन के गबन की साजिश करने लगा। तभी उसकी मुलाकात कुठौंद ब्लाॅक में तैनात जालौन कोतवाली के मोहल्ला रापटगंज निवासी विकेंद्र कुमार से हुई। दोनों ने अधिकारियों से सांठगांठ कर अपने खाते में 52 लाख 68 हजार 544 रुपये डलवा लिए। दोनों इस रकम को अन्य कर्मचारियों के साथ मिलकर बंदरबांट कर रहे थे।
गहनता से जांच हुई तो फंसेंगे कई कर्मचारी
गबन का इतना बड़ा मामला होता रहा और अधिकारी व कर्मचारी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे, उनको इस बात की भनक तक नहीं लगी। जनवरी में अंतिम ट्रांसफर होने के बाद भी किसी को इसकी जानकारी न मिलना खासा चर्चा का विषय है। लोगों का कहना है कि अगर जांच गहनता से की गई तो कर्मचारियों के अलावा अधिकारी भी इसमें फंस सकते हें। आरोपी मनोज का कहना है कि उसके साथ काम करने वाले कुछ कर्मचारियों को इसकी पहले से जानकारी थी। यह भी जांच का विषय है।
सफाई कर्मचारी विकेंद्र का अधिकारियों के साथ था उठना बैठना
गबन के मामले में दूसरे मुख्य आरोपी विकेंद्र कुमार कुमार सफाई कर्मचारी होने के बाद भी रौब से अधिकारियों के पास उठता बैठता था। कोई उससे कुछ नहीं कह पाता था। इसी का फायदा उठाते हुए मनोज के साथ मिलकर लाखों की रकम को इधर से उधर करते रहे और अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी।