संवाद न्यूज एजेंसी

उरई।

शहर में अभी तक के सबसे बड़े अतिक्रमण पर रविवार को प्रशासन का बुलडोजर चला। जिसमें 28 दुकानें पक्की व सब्जी विक्रेताओं की दर्जनभर से ज्यादा दुकानों को तुड़वाया गया। 1.92 एकड़ भूमि पर कई सालों से अवैध कब्जा किए हुए थे। एसडीएम कोर्ट में मुकदमा हारने के बाद प्रशासन ने कई बार नोटिस दिए। उसके बाद भी दुकानदारों ने कब्जा नहीं छोड़ा। धीरे-धीरे कब्जा सड़क तक आ गया था। उसके बाद प्रशासन ने अभियान चलाकर जगह खाली करवाई।

शहर के अंदर मौनी माता मंदिर पर राठ रोड पर स्थित धर्मशाला की नजूल जमीन पर कई वर्ष से दुकानदार अवैध कब्जा किए हुए थे। रविवार को प्रशासन भोर से अभियान चलाकर पक्की दुकानों के साथ कच्ची दुकानों को तुड़वाकर अवैध कब्जा से मुक्त कराया। कब्जे को हटाने के लिए प्रशासन भारी पुलिस बल के साथ दो से ज्यादा कर्मचारियों को लगाया गया। देर रात तक अभियान चलाकर सभी दुकानों को जमींदोज किया गया। अवैध कब्जे से रोज जाम की स्थिति पैदा होती थी। काफी साल से इस जगह पर वाहन रेंग रहे थे। अतिक्रमण हटने से एक तरफ लोगों ने तारीफ की तो दूसरी तरफ दुकानदारों ने दर्द बयां किया।

धर्मशाला की 1.92 एकड़ जमीन पर अवैध रूप से 28 व्यक्तियों ने सालों से कब्जा कर रखा था जो टिंबर का बड़े स्तर पर कारोबार करते थे। साथ ही अपनी-अपनी दुकानों के आसपास छोटे दुकानदारों से रुपये लेकर दुकान लगवाते थे। कई बार प्रशासन ने कब्जा हटाने के लिए नोटिस भी दिए थे। उसके बाद भी दुकानदारों की तरफ से अनसुनी की जा रही थी। रोज आज कल दुकान हटाने की बात करते थे। उसके बाद दुकानदारों ने जमीन पर कब्जा न हटाने को लेकर अपर जिलाधिकारी (न्यायिक) जालौन के न्यायालय में मुकदमा किया गया। सुनवाई भी हुई। जिसमें दुकानदार मुकदमा हार गए। उसके बाद भी जमीन से कब्जा नहीं हटाया गया।

इन सभी अवैध कब्जाधारियों व अवैध कारोबारियों से कई बार सिटी मजिस्ट्रेट रामप्रकाश व सीओ गिरजाशंकर त्रिपाठी ने कई बार दुकानदारों से बातचीत की उसके बाद भी उन्होंने कीमती जमीन होने के चलते जमीन से कब्जा नहीं हटाया। जिसके बाद रविवार को अभियान चलाकर सभी दुकानों को जमींदोज किया गया।

करोड़ों की है जमीन

उरई।

राठ रोड स्थित नजूल की जमीन 1.92 एकड़ की जमीन को दुकानदार इस बात के चलते भी खाली नहीं कर रहे थे। क्योंकि उसकी कीमत करोड़ों में है। जिसके चलते नोटिस आने के बाद भी कब्जाधारी अनदेखी कर रहे थे। प्रशासन ने उनसे शनिवार को भी बातचीत की थी। लेकिन नतीजा शून्य रहा। 28 दुकानदार अपनी तो दुकान बनाएं थे। साथ में छोटे दुकानदारों से रुपये लेकर दुकान सड़क तक लगाते थे। जिस जमीन को खाली करवाया गया। उसकी कीमत शहर के हिसाब से लगभग 42 करोड़ 73 लाख 50 हजार है। कब्जाधारियों नजर इस लिए इस जमीन पर थी।

चार बुलडोजर, 150 कर्मचारी, 100 से ज्यादा पुलिस कर्मी रहे तैनात

उरई। अतिक्रमण को हटाने के लिए प्रशासन ने बड़े स्तर पर तैयारी की थी। जिसमें चार बुलडोजर पालिका की तरफ से लगाए गए थे। 100 कर्मचारी पालिका के करीब 50 से ज्यादा जिलापंचायत के कर्मचारी लगाए गए थे। सुरक्षा की दृष्टि से 100 से ज्यादा पुलिस बल दो फायर बिग्रेड,एंबुलेंस भी खड़ी की गई। इसके साथ ही दिनभर अधिकारियों का जमावड़ा लगा रहा। देर रात तक अतिक्रमण हटाया गया। सुबह के लिए अलग से टीम वहीं शाम के लिए भी अलग टीम लगाई गई। अतिक्रमण हटाते समय सुबह दुकानदारों की अधिकारियों से बहस भी हुई। लेकिन अतिक्रमण के आगे किसी की नहीं चल सकी।

रूट डायवर्जन से लोग हुए परेशान

उरई।

अतिक्रमण को हटाने के लिए सुबह से ही रूट डायवर्जन कर दिया गया था। देर रात्रि प्रशासन ने इसकी सूचना भी दे दी थी। रूट डायवर्जन से लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। ई रिक्शा से पहुंचने वाली सवारियों को करीब आधा किलोमीटर दूर उतारा गया। जिसके चलते उन्हें पैदल चलना पड़ा। राठ रोड से उरई शहर आने वाले वाहनों पर रोक लगाई गई थी। शहीद भगतसिंह चौराहे से राठ रोड जाने वाले वाहनों पर रोक थी। पीलीकोठी से शहीद भगत सिंह चौराहे की तरफ जाने वाले वाहनों को दूसरे रूट से जाना पड़ा।

दुकानों पर पहले से ही चस्पा थे नोटिस

उरई। कब्जा मुक्त कराने के लिए प्रशासन ने पहले दुकानदारों से बातचीत करके हल निकलने का प्रयास किया। लेकिन कोई सफलता हाथ नहीं लगी। करीब तीन बार प्रशासन की और से नोटिस चस्पा किए जा चुके था। उसके बाद भी दुकानदारों ने दुकानों से कब्जा नहीं छोड़ा। 25 मई तो अंतिम नोटिस दुकानों पर चस्पा किया गया था। उसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई की।

मीटर खोजते रहे, बिजली विभाग के कर्मचारी

उरई। बुलडोजर चलाने से पहले प्रशासन नोटिस के साथ एक माह का समय दिया था। उसके बाद भी दुकानदारों ने कोई ध्यान नहीं दिया। बुलडोजर ने सभी चीजें ध्वस्त कर दी। वहीं सभी दुकानों में लगे मीटर भी तोड़ दिए गए। मौके पर पहुंचे बिजली कर्मचारियों ने टूटे मीटर बटोरना शुरू किए। क्योंकि लाखों का बिजली का बिल दुकानदारों पर बकाया था। जिसके चलते दुकानदारों ने मीटर को भी नहीं हटाया। कर्मचारियों ने मीटर खोजकर सभी की रीडिंग निकाल ली।

राठ रोड अवैध रूप से टिंबर कुछ छोटी दुकानें अवैध रूप से लग रही थी। उन्हें हटवाया गया। शहर के बीचों बीच होने से बहुमूल्य है। इसका प्रयोग काफी अच्छी चीजों के लिए किया जा सकता है। जिसमें पार्क दुकानें बनाई जा सकती है। जनता के लाभ के लिए कई चीजें बनाई जा सकती है। इसलिए प्रशासन की प्राथमिकता थी शासन का निर्देश हुआ था। जिसे कब्जामुक्त किया गया।

-चांदनी सिंह, डीएम



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