कुठौंद। हर साल बाढ़ से प्रभावित रहने वाले ब्लॉक कुठौंद के गांवों के ग्रामीणों को इस बरसात में भी खौफ सता रहा है। प्रशासन की उदासीनता के चलते ग्रामीणों को फसलों के साथ-साथ घर भी उजड़ने का डर सता रहा है। दो साल से लगातार बाढ़ आने के बावजूद ग्रामीणों को चिह्नित ऊंचे स्थानों पर बसाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। इस वजह से उन्हें बाढ़ के खतरों के बीच रहने को विवश रहना पड़ रहा है।
कुठौंद के यमुना किनारे बसे गांव बिजुआपुर, भदेख, टिकरी, खेड़ा मुस्तकिल, करमुखा, लोहई, हिंनोली आदि गांवों में सबसे ज्यादा बाढ़ से लोगों को परेशानी होती है। हर वर्ष इन गांवों के परिवारों को ऊंचे स्थान पर बसाने का आश्वासन मिलता है। लेकिन, ऊंचे स्थानों पर खाली जगह होने के बावजूद उन्हें राहत नहीं दी जा सकी है। पिछले साल आई बाढ़ में ब्लॉक के करीब 10 गांव प्रभावित हुए थे। इनमें सबसे ज्यादा तीन गांवों के ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था। बारिश लगातार होने से यहां के लोगों को एक बार फिर से बाढ़ का खतरा सताने लगा है।
पानी में बह गया था सामान, छोड़ना पड़ा था घर
– वर्ष 2022 में यमुना नदी में आई बाढ़ में पानी के पैमाने पर 118.51 मीटर पर आमद दर्ज कराई गई थी। वहीं, बाढ़ के पानी से विजुआपुर, भदेख व टिकरी आदि गांवों के लोग ज्यादा प्रभावित हुए थे। बाढ़ से गृहस्थी के सामान के साथ बच्चों की पढ़ाई का सामान तक बह गया था। वहीं, इससे पहले वर्ष 2019 में भी यमुना का जल स्तर 117.80 मीटर पर पहुंच गया था, इससे लोगों को काफी नुकसान हुआ था।
मात्र 64 पीड़ितों को मिला ऊंचे स्थान पर आवास
-पूर्व विधायक नरेंद्र सिंह जादौन ने कहा कि बाढ़ पीड़ितों को ऊंचे स्थान पर जगह चिह्नित कर आवास बनवाने का प्रयास किया था। इस योजना के तहत महेवा ब्लाक के सिमरा शेखपुर गांव में 64 बाढ़ पीड़ितों को सुरक्षित स्थान पर आवास बनाकर भी दिए गए। अन्य पीड़ितों को आवास के लिए जिलाधिकारी से मिलेंगे।
ग्रामीणों की बात
बिजुआपुर गांव के प्रबल कुमार ने कहा कि जब भी बाढ़ का पानी घरों में भरता है, तब राहत के नाम पर तिरपाल और खाने के पैकेट के साथ सिर्फ आश्वासन दिया जाता है। बिजुआपुर गांव की विद्यावती ने बताया कि अक्सर बाढ़ में पूरी गृहस्थी उजड़ जाती है। बावजूद इसके प्रशासन के अधिकारी कोई सुध नहीं लेते। अब फिर डर सताने लगा है। टिकरी निवासी शिवप्यारी ने बताया कि पिछले साल आई बाढ़ में उनका पूरा घर तबाह हो गया था। गृहस्थी का सामान खराब हो गया था और बच्चों की पढ़ाई की सामग्री बह गई थी। भदेख गांव के विजय सिंह ने बताया कि मेहनत कर फसल उगाते हैं। लेकिन, बाढ़ में सब बर्बाद हो जाता है। प्रशासन के अधिकारी भी केवल बचाव के नाम पर आश्वासन देते हैं।
वर्जन
बाढ़ पीड़ितों के लिए पिछले वर्ष जो सहायता राशि आई थी, वो दे दी गई थी। साथ ही उन्हें योजनाओं से भी जोड़ा गया था और भी प्रयास किए जा रहे हैं। -बलराम गुप्ता, तहसीलदार