उरई। दुष्कर्म पीड़िता के पिता ने कमरे में लगे पंखे के हुक से फंदा लगाकर जान दे दी। परिजनों का आरोप है कि थानाध्यक्ष सुलह के लिए प्रताड़ित कर रहे थे। इसी से आजिज आकर जान दे दी।
सूचना पर पहुंची पुलिस ने फंदे से शव उतारने का प्रयास किया तो परिजनों ने विरोध किया। हंगामा कर थाना प्रभारी पर कार्रवाई और एसपी को बुलाने पर अड़ गए। इस पर एएसपी असीम चौधरी चार थानों की पुलिस लेकर पहुंचे। परिजनों और ग्रामीणों को समझाते हुए मामले को शांत कराया। एएसपी का कहना है कि जांच की जा रही है, जो भी दोषी होगा कार्रवाई की जाएगी।
एट थाना क्षेत्र के एक गांव निवासी 40 वर्षीय युवक पत्नी के साथ पंजाब में रहता था। नाबालिग बेटी दादी के साथ घर पर रहती थी। 28 मार्च को आयोजित जन्मदिन के कार्यक्रम में कोटरा थाना क्षेत्र के घुरट गांव निवासी लक्ष्मी देवी उसे साथ ले गई। वहां उरई कोतवाली क्षेत्र के वेदिका गेस्ट हाउस के पास रहने वाले गोलू उर्फ मानवेंद्र ने उसके साथ दुष्कर्म किया था।
घर छोड़ने आए लक्ष्मी के पति देवेंद्र ने रास्ते में किसी को बताने पर किशोरी को बदनाम करने की धमकी दी। दुष्कर्म का शिकार हुई किशोरी गर्भवती हो गई। 30 मई को पिता घर लौटा तो किशोरी ने पूरी बात बताई। 31 मई को किशोरी माता-पिता के साथ थाने पहुंची, लेकिन उसकी नहीं सुनी गई।
आरोप है कि एट थानाध्यक्ष नरेंद्र प्रताप गौतम ने समझौते का दबाव बनाया। इस पर वह दो जून को परिवार सहित एसपी से मिले। इसके बाद चार जून को एट पुलिस ने मुख्य आरोपी गोलू उर्फ मानवेंद्र, लक्ष्मी और उसके पति देवेंद्र के खिलाफ दुष्कर्म, पॉक्सो एक्ट की धाराओं में मामला दर्ज किया था। आरोप है कि मामला दर्ज होने के बाद भी थानाध्यक्ष समझौते का दबाव बना रहे थे। इससे तंग आकर सोमवार की सुबह पीड़िता के पिता ने आत्महत्या कर ली। एसपी डॉ. ईरज राजा का कहना है कि मामले की जांच सीओ कोंच से कराई जा रही है, जो भी दोषी होगा कार्रवाई की जाएगी।