उरई। सृजन ऐसा हो जिसमें समाज राष्ट्र का हित निहित हो, नवचेतना का संदेश हो। मानवीय प्रेम सद्भावना व्यवहार में हो। यह बात पूर्व कमिश्नर शंभूदयाल ने अपने आवास राजेंद्रनगर में संवेदना सहित समिति के तत्वावधान में आयोजित काव्य गोष्ठी व सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कही।
कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ। वाणी वंदना कवियत्री प्रियंका शर्मा ने की। काव्य पाठ में यज्ञदत्त त्रिपाठी ने सुनाया-मीठा सबको मीठा लगता खट्टा सबको खट्टा, फिर क्यों बांध लिया है आंखों पर जाति पाति का पट्टा। सिद्धार्थ त्रिपाठी ने पढ़ा-अमर प्रेम है नहीं कि केवल मन से मन मिल जाए। रामशंकर गौर ने पढ़ा- यह अपशकुन हैं जो मोमबत्ती फूंककर तुम बुझा रहे हो। शिखा गर्ग, सुरेश चंद्र त्रिपाठी, इंदू, विवेक, शौक चांदपुरी, पुष्पेंद्र पुष्प, महेश प्रजापति आदि ने काव्यपाठ कर लोगों की तालियां बटोरी।
कार्यक्रम में सुरेश चंद्र त्रिपाठी, ब्रह्मप्रकाश अवस्थी, गीतकार पुष्पेंद्र पुष्प को साहित्य सुरभि सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता यज्ञदत्त त्रिपाठी व संचालन डॉक्टर माया सिंह माया ने किया। इस दौरान भोला प्रसाद गौतम, मणींद्र शर्मा, स्वतंत्र सिंह सेंगर, चंद्रभान, दयाराम अहिरवार, संजय शर्मा आदि मौजूद रहे। पूर्व प्रधानाचार्य जगरूप सिंह ने आभार प्रकट किया।