उरई। एनजीटी ने डीएम को आदेश दिए कि बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे में इस्तेमाल की गई मिट्टी के खनन की जांच कराएं। चार सितंबर को हुई सुनवाई में एनजीटी ने तीन सदस्यी टीम बनाने के लिए कहा है। इसमें तीन विभागों के अधिकारी होंगे। जांच डीएम की देखरेख में ही होगी।

चित्रकूट से इटावा तक बने बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के लिए मिट्टी खनन में धांधली का आरोप लगाकर नरछा गांव निवासी आरटीआई कार्यकर्ता अरुण तिवारी ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) दिल्ली में जून में याचिका दाखिल थी। इसमें बताया था कि किसानों की बिना अनुमति लिए खेतों से मानक से अधिक मिट्टी की खोदाई करा ली गई थी। एक्सप्रेसवे के निर्माण में जितनी भी मिट्टी का भराव हुआ है, उसकी खोदाई एक्सप्रेसवे की सीमा से सटे खेतों से की गई थी।

इसमें मानक दो मीटर होने की बात कही गई थी, लेकिन 60 से 70 फीट तक मिट्टी की खोदाई की गई है। गहरे मिट्टी खनन के कारण सैकड़ों मवेशी मर गए और पर्यावरण को भी नुकसान हुआ है। याची अरुण तिवारी ने बताया कि मामले की सुनवाई 4 सितंबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई। एनजीटी ने मामले की जांच के लिए संयुक्त समिति का गठन करने के आदेश दिए डीएम को दिए हैं। इस समिति में तीन विभागों के वरिष्ठ अधिकारी रहेंगे। जांच डीएम की देखरेख में होगी।

संयुक्त समिति को 15 दिसंबर तक रिपोर्ट देने को कहा गया है। एक्सप्रेसवे के निर्माण में गुणवत्ता को लेकर कई बार सवाल उठ चुके है। गुणवत्ता को लेकर पूर्व सीएम अखिलेश यादव भी ट्वीट कर चुके थे। इस बाबत डीएम राजेश कुमार पांडेय का कहना है कि एनजीटी के आदेश की अभी जानकारी नहीं मिली है। आदेश मिलने पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।



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