फोटो-40-जिला महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड मशीन की जांच करता इंजीनियर। संवाद

संवाद न्यूज एजेंसी

उरई। जिला महिला अस्पताल में पांच दिन से अल्ट्रासाउंड मशीन खराब होने से मरीज जांच के लिए भटक रहे हैं। उधर, लखनऊ से आए सायरसिस कंपनी के इंजीनियर ने मशीन की जांच। एक मशीन की केबल चूहों ने काट दी। जबकि दूसरी मशीन में अल्ट्रासाउंड फिल्म निकलने में तकनीकी समस्या आ रही है। उधर, अल्ट्रासाउंड जांच न हो पाने के कारण मरीज परेशान हो रहे है। वह या तो प्राइवेट केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड करा रहे हैं या फिर डॉक्टर मशीन सुधरने तक रुकने की बात कह रहे हैं।

जिला महिला अस्पताल में अल्ट्रासाउंड व्यवस्था गड़बड़ाई हुई है। दो महीने पहले यहां तैनात रेडियोलॉजिस्ट डॉ. गौरव द्विवेदी का बीहड़ क्षेत्र की पीएचसी पतराही में तबादला कर दिया गया था। तबसे समस्या और गहरा गई थी। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत जिला अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. सौरभ को तीन-तीन दिन दोनों अस्पतालों में जाकर अल्ट्रासाउंड करने के निर्देश दिए गए।

शुक्रवार को दूसरी अल्ट्रासाउंड मशीन में खराबी आने से समस्या बढ़ गई। रेडियोलॉजी विभाग के नोडल अधिकारी डॉ. सौरभ ने इसकी सूचना अल्ट्रासाउंड मशीन का रखरखाव करने वाली सायरसिस कंपनी को दी। गुरुवार को कंपनी के प्रतिनिधि अंकित ने आकर जांच की। जांच में पाया कि एक अल्ट्रासाउंड मशीन के पावर सप्लाई की वायर चूहों ने कुतर दी थी।

इंजीनियर का कहना है कि मशीन में फाल्ट का पता लग गया है। जल्द मशीन ठीक कर दी जाएगी। उधर, अस्पताल में जांच कराने पहुंचे शहर के मोहल्ला प्रेमनगर निवासी रजिया का कहना है कि वह अल्ट्रासाउंड जांच कराने के लिए सोमवार से परेशान घूम रही हैं। जिला अस्पताल जाने पर भी अल्ट्रासाउंड नहीं हो पाया। अब मशीन ठीक होने के बाद ही अल्ट्रासाउंड कराएंगे।

रामनगर की रहने वाली रूबी का कहना है कि उन्होंने डॉक्टर को दिखाया तो उन्होंने प्राइवेट में ही अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी है। नोडल अधिकारी का कहना है कि एक दो दिन में समस्या दूर होने पर अल्ट्रासाउंड व्यवस्था सुचारु हो जाएगी। मरीजों का कहना है कि दो मशीनें होने के बाद भी जांच प्रभावित नहीं होनी चाहिए। समय रहते एक मशीन दुरुस्त करा ली जात तो इतनी परेशानी न उठानी पड़ती।



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