उरई। स्टेशन रोड स्थित हजरत सैयद गाजी मंसूर अली शाह उर्फ बेरी वाले बाबा का 83वां उर्स मुबारक गुरुवार को अदब और एहतराम के साथ शुरू हुआ। दरगाह पर फातिहा ख्वानी कर खिराजे अकीदत पेश की गई। दो दिवसीय महफ़िले समां के पहले दिन कव्वालों ने कलाम पेश कर लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। लोग सुबह तक उर्स में डटे रहे।
उर्स के पहले दिन की शुरुआत कलामे रब्बानी से मौलाना इमरान ने की। कव्वाली के जोरदार मुकाबले में बसीम साबरी (मुंबई) और युसुफ शोला (मुंबई) ने लोगों की नब्ज टटोलते हुए मनमाफिक कलाम पढ़े। हम्द पाक से आगाज करते हुए वसीम साबरी ने कहा ‘मेरी सोई तकदीर या रब तू जगा दे, बस एक बार मुझको मदीना दिखा दे’। इसके बाद युसुफ शोला ने भी सुना-हमको भी अपने दीन की पहचान बना दे, अल्लाह हमको सच्चा मुसलमान बना दे। लोगों ने हाथ हिलाकर कव्वाल की खूब हौसला अफजाई की।
कव्वाल युसुफ शोला ने ख्वाजा की शान में सुनाया-झुकी झुकी सी अगर जमीन है, कसम खुदा की हमें यकीं है, हमारा ख्वाजा नहीं कहीं है। इसके बाद जवाबी मुकाबले में कव्वाल वसीम साबरी ने कलाम पढ़ा-आंख रोती है खून के आंसू जब भी यादें हुसैन आती है। दोनों कव्वाल श्रोताओं की पसंद समझकर कलाम पेश किए।
चीफ कंट्रोलर हाफिज जब्बार ने कव्वालों को पगड़ी तो वही अध्यक्ष अनुभव चतुर्वेदी ने फूलमाला पहनाकर सम्मानित किया । दरगाह शरीफ पर अकीदतमंदों का तांता लगा रहा और सलाम व फातिया ख्वानी का सिलसिला चलता रहा। जायरीनों ने दरगाह पर चादर पेश कर मोहब्बत का यक़ीदा पेश किया। संचालन पप्पू थापा ने किया। इस दौरान गुलशेर सेठ, अहमद, भिक्के खा, रईस खान, शाहिद, फिरोज, अब्दुल रब, छोटू शाह, अकील अहमद, मौलाना इमरान, रिजवान खान भी मौजूद रहे।