कालपी। डिप्टी सीएम साहब… जरा गौर फरमाएं। अस्पताल में डाक्टर नहीं, पैथोलॉजी बंद है और जांचे नहीं हो रहीं। ये है सरकारी अस्पताल का हाल, जिससे मरीज हो रहा बेहाल। मजबूरी में उसे सस्ते इलाज के कारण झोलाछापों से दवा लेनी पड़ रही है और महंगी लैब में खून की जांच करानी पड़ रही है।

इलाज के अभाव में एक युवक का पिता के कंधे पर दम तोड़ देने वाली घटना के बाद डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने उसे संज्ञान लेकर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। शहर की 75 हजार की आबादी वाले इस शहर में टीम दलित बस्ती उदनपुरा के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) पहुंची। यहां डाक्टर नहीं थे, यहां फार्मासिस्ट के भरोसे अस्पताल चल रहा था। मौके पर फार्मासिस्ट राकेश बघेल के अलावा दो नर्स, पांच एएनएम मिलीं। फार्मासिस्ट ने बताया कि डॉ गोपाल द्विवेदी के सीएचसी संबद्ध होने के बाद किसी डाक्टर की नियुक्ति नहीं हुई है। लैब टेक्नीशियन नहीं होने से पैथोलॉजी लैब भी बंद पड़ी थी। इसके बाद टीम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची, जहां दो चिकित्सक डॉ. विशाल सचान और डॉ. शेख शहरयार मिले। यहां चिकित्सा अधीक्षक रहे डॉ. उदय कुमार का ट्रांसफर हो चुका है। फिजीशियन, बाल रोग विशेषज्ञ, सर्जन जैसे डाक्टर अस्पताल में हैं ही नहीं। सीएचसी में 14 के सापेक्ष मात्र दो चिकित्सक होने की वजह से मरीजों को असुविधा होती है। हालांकि बुधवार को स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. रूबी सिंह की भी नियुक्ति के आदेश कर दिए गए, लेकिन अभी उन्होंने चार्ज नहीं लिया है।



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