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पर्वत सिंह बादल (ब्यूरो चीफ जालौन)✍️
(उरईजालौन) उरई: उत्तर प्रदेश भौगोलिक एवं सांस्कृतिक विविधताओं से परिपूर्ण तथा कृषि उपज में एक समृद्ध प्रदेश है। प्रदेश में 24 करोड़ से अधिक लोग रहते है। कुल जनसंख्या का दो तिहाई भाग कृषि पर आधारित है। खाद्य प्रसंस्करण कृषि और उद्योग के बीच की कड़ी है। खाद्य प्रसंस्करण में कच्चें माल को उपयोगी उत्पादों में बदलने के लिए धुलाई, काटना, पकाना, पाश्चुरीकरण, किण्वन और पैकेजिंग जैसी कई प्रक्रियायें शामिल होती है। वर्तमान में अनाज से आटा, बिस्कुट नूइल्स, मैगी, मैदा, स्नेक्स, नमकीन आदि वस्तुऐ फलों व सब्जियों से जमे जैली, मुरब्बा चटनी, सॉस, डिब्बाबन्द फल चिप्स आदि, दूध से दही, लस्सी, मट्ठा, घी आइसक्रीम, दुग्धपाउडर, मिटाइयाँ, पनीर विभिन्न उत्पाद, कोकोउत्पाद गन्ना से चीनी गुड, कन्फक्शनरी आदि विभिन्न खाद्य वस्तुए खाद्य प्रसंस्करण से बनाकर उपभोक्ताओं तक पहुँचाया जा रहा है।
प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों की स्थापना के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने उद्यमियों को कई सुविधायें प्रदान की हैं। प्रदेश सरकार ने उ०प्र० खाद्य प्रसंस्करण उद्योग नीति-2023 में कई आकर्षण सुविधायें उद्यमियों को दी गई है। इन नीति के तहत खाद्य प्रसंस्करण यूनिट स्थापित करने के लिए 12.5 एकड़ से अधिक भूमि खरीदने की अनुमति दी गई है इसी प्रकार गैर-कृषि उपयोग घोषणा के लिए सर्किल रेट पर मूल्य का 2 प्रतिशत शुल्क के रूप में जमा करने से छूट भी प्रदान की गई है। परियोजना स्थल में आने वाली सरकारी भूमि के विनिमय में अनिवार्य रूप से भूमि के मूल्य का 25 प्रतिशत धनराशि जमा किये जाने पर छूट दी गई है। भूमि उपयोग का रूपांतरण पर 50 प्रतिशत की छूट तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों पर बाहरी विकास शुल्क (External Development Charges) में 75 प्रतिशत की छूट स्टांप शुल्क से छूट दी गई है।
प्रदेश सरकार ने प्रसंस्करण के लिए राज्य के बाहर से लाई गई कृषि उपज पर मंडी शुल्क और उपकर से छूट दी है। प्रसंस्करण इकाईयों को सीधे बेचे जाने वाले कृषि उत्पाद के लिए मंडी शुल्क और उपकर से छूट दी गई है। किसी क्षेत्र को रोग मुक्त प्रमाणित / घोषित करने के लिए उदाहरणतः ड्यूरम गेहूं-बुंदेलखंड और आलू आगरा-कन्नौज के विषय पर अध्ययन किया गया है। को प्रायोजित किया गया हैं। प्रसंस्करण इकाइयों की बिजली आपूर्ति के लिए सौर ऊर्जा परियोजनाओं पर सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। साथ ही इस नीति में निर्यात हेतु परिवहन सब्सिडी भी दिये जा रहे है।
प्रदेश सरकार ने अपनी इस नीति में पूंजीगत सब्सिडी भी दिये जाने का प्रावधान किया है। राज्य में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के संबंध में संयंत्र, मशीनरी और तकनीकी सिविल कार्य पर किए गए व्यय का 35 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी अधिकतम सीमा रु० 5 करोड़ तक प्रदान की रही है। राज्य में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के विस्तार और आधुनिकीकरण / उन्नयन के संबंध में संयंत्र, मशीनरी और तकनीकी सिविल कार्य पर किए गए व्यय के 35 प्रतिशत की पूंजी सब्सिडी अधिकतम सीमा रू० 01 करोड़ तक प्रदान की जा रही है।
प्रदेश में मूल्यवर्धन और कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए योजना लागू की गई है। इससे फसल के उत्पादन के बाद के नुकसान कम करने में मदद मिलेगी। प्रदेश सरकार रीफर वाहनों और मोबाइल प्री-कूलिंग वैन की खरीद के लिए ब्याज सब्सिडी देने की व्यवस्था की है। मंडी शुल्क और सेस के भुगतान के संबंध में पूरे उत्तर प्रदेश को खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के लिए एक बाजार क्षेत्र बनाया गया है।
प्रदेश सरकार की इस नीति से आधुनिक प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने तथा विकेंद्रीत प्रसंस्करण और भंडारण को बढ़ावा देना प्रमुख है। प्रदेश सरकार की इस नीति से प्रदेश में उद्यमी आकर्षित होकर खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना कर रहे हैं। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में उत्तर प्रदेश, देश में हब के रूप में विकसित हो रहा है। प्रदेश सरकार का ध्येय है कि प्रदेश के प्रत्येक जिलें में विभिन्न उत्पादों के एक हजार खाद्य प्रसंस्करण यूनिट स्थापित हो जिससे खेती उत्पादित विभिन्न अनाजों के मूल्य संवर्धन से किसानों को लाभ एवं युवाओं को रोजगार के अवसर मिले। प्रदेश में विभिन्न प्रकार की 65 हजार से अधिक खाद्य प्रसंस्करण की इकाईयाँ स्थापित हुई है, जिसमें लाखों लोगों को रोजगार मिला है। प्रदेश में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना के अन्तर्गत वर्ष 2025-26 में 78981 ईकांइयों के उन्नयन के सापेक्ष सितम्बर, 2025 तक 19104 मौजूदा इकाइयों के उन्नयन एवं नवीन ईकाईयों की स्थापना के कार्य पूर्ण हो चुके है। प्रदेश में 15 से अधिक एग्रों व फूड प्रोसेसिंग पार्क विकसित हुए है।

By Parvat Singh Badal (Bureau Chief Jalaun)✍️

A2Z NEWS UP Parvat singh badal (Bureau Chief) Jalaun ✍🏻 खबर वहीं जों सत्य हो

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