
पर्वत सिंह बादल (ब्यूरो चीफ जालौन)✍️
(दिल्ली) नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित 6 वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में जालौन जिले ने उत्तर भारत क्षेत्र में तीसरा स्थान प्राप्त किया है। यह सम्मान देश भर में जल संरक्षण और जल संसाधन प्रबंधन में उत्कृष्ट कार्य करने वाले जिलों, संस्थाओं और व्यक्तियों को दिया जाता है। अभिनव कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि बुंदेलखंड जैसे जल-संकटग्रस्त क्षेत्र में ऐसी पहल देश के लिए एक मिसाल है।
जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय ने पिछले दो वर्षों में जिले में जल संचयन के लिए कई प्रभावी अभियान चलाए हैं। इन पहलों में तालाबों का पुनर्जीवन, सूखे कुओं का पुनरुद्धार, पारंपरिक जल स्रोतों का संरक्षण, खेत-तालाब योजना का विस्तार और बारिश के पानी को रोकने के लिए चेक डैम तथा स्टॉप डैम का निर्माण शामिल है। ‘जल संरक्षण जन आंदोलन’ के तहत गांवों में सामुदायिक भागीदारी बढ़ाई गई और स्कूल-कॉलेज स्तर पर भी जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए गए।
इन प्रयासों के परिणामस्वरूप जालौन जिले के कई गांवों में भू-जल स्तर में सुधार दर्ज किया गया है। बारिश के पानी के संरक्षण से खेती के लिए पानी की उपलब्धता बढ़ी है, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिला है। जिले में जल जीवन मिशन के तहत जलापूर्ति व्यवस्था में भी
उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
राष्ट्रीय स्तर पर मिली यह उपलब्धि पूरे जिले के लिए गर्व का विषय है। सम्मान ग्रहण करने के बाद डीएम राजेश कुमार पांडेय ने कहा कि यह उपलब्धि जिले के प्रत्येक नागरिक की है, जिन्होंने जल संरक्षण को एक आंदोलन का रूप दिया। उन्होंने इस मिशन को भविष्य में भी मजबूती से जारी रखने का संकल्प दोहराया।बुंदेलखंड के सूखा प्रभावित जिले जालौन ने जल संरक्षण के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी एक विशिष्ट पहचान बनाई है।

नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित 6 वें राष्ट्रीय जल पुरस्कार समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा जालौन के जिलाधिकारी राजेश कुमार पांडेय को जल संरक्षण व जल संचयन में असाधारण उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया। यह उपलब्धि न केवल जिले बल्कि पूरे बुंदेलखंड के लिए प्रेरणास्रोत है। बुंदेलखंड लंबे समय से जल संकट से जूझता रहा है, लेकिन डीएम राजेश कुमार पांडेय ने जनभागीदारी आधारित जल संरक्षण मॉडल विकसित कर जिले की तस्वीर बदल दी।
उन्होंने सितंबर 2023 में जालौन का कार्यभार संभाला था और दो वर्षों के भीतर जिले को जल संरक्षण में राष्ट्रीय स्तर पर तीसरा स्थान दिलाकर उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की। डीएम पांडेय के कार्यकाल में जिले में व्यापक स्तर पर चेकडैम, तालाब पुनर्जीवन, रेन वाटर हार्वेस्टिंग और जल भंडारण संरचनाओं का निर्माण किया गया। इन प्रयासों से न केवल जल बचत बढ़ी, बल्कि भूजल स्तर में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ। गांवों की जल निर्भरता कम हुई और किसानों को सिंचाई के लिए नई उम्मीद मिली। बताते चले कि कोंच तहसील के ग्राम सतोह से शुरू होने वाली 83 किलोमीटर लंबी नून नदी वर्षों से सूखी पड़ी थी और उसका अस्तित्व खतरे में था।
