
Jalaun News बुन्देलखण्ड के कृषकों को गौवंश,जंगली जानवरों से फसलों को सुरक्षा प्रदान हेतु सोलर फेन्सिंग योजना प्रस्तावित है
ByParvat Singh Badal (Bureau Chief Jalaun)
Oct 27, 2025 #Cluster based solar fencing – Formation of farmer cluster group of minimum 10 hectares for cluster
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पर्वत सिंह बादल (ब्यूरो चीफ जालौन)✍️
(उरईजालौन) उरई: जालौन उप कृषि निदेशक एस०के० उत्तम ने बताया कि जनपद के समस्त कृषक गणों को सूचित किया जाता है कि उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के कृषकों को गौवंश एवं जंगली जानवरों से फसलों को सुरक्षा प्रदान करने हेतु सोलर फेन्सिंग योजना प्रस्तावित है। उन्होंने बताया कि क्लस्टर आधारित सोलर फेन्सिंग- न्यूनतम 10 हे० से अधिक के फार्मर क्लस्टर समूह का गठन कर क्लस्टर हेतु अनुमानित कम्पोजिट सोलर फेन्सिंग औसतन 1500 रनिंग मीटर जिस पर कृषक समूह को 80 प्रतिशत अनुदान प्रस्तावित है (गेट, सोलर पैनल बैटरी, वायर आदि सहित) उसी क्लस्टर मे न्यूनतम 500 कृषि वानिकी/सहजन के पौधों का रोपड़ कराया जायेगा जिससे बायोमास उत्पादन, पोषण व्यवस्था के साथ-साथ भूमि एवं जल संरक्षण में भी लाभ प्राप्त होगा। उन्होंने बताया कि *मॉडल नं०-1* की ऊंचाई 1.5 मी०(05 फिट) अनुमानित लागत रु० 10.87 लाख, अनुदान(80 प्रतिशत) रु० 8.69 लाख, कृषक अंश(20 प्रतिशत) रु० 2.18 लाख, *मॉडल नं०-2* की ऊंचाई 1.8मी० (06 फिट) अनुमानित लागत रु० 11.64 लाख, अनुदान (80 प्रतिशत) रु० 9.31 लाख, कृषक अंश(20 प्रतिशत) रु० 2.33 लाख, *मॉडल नं०-3* की ऊंचाई 2.10 मी० (07फिट), अनुमानित लागत रू० 08.79 लाख, अनुदान (80 प्रतिशत) 7.03 लाख, कृषक अंश(20 प्रतिशत) रु० 1.76 लाख है। उन्होंने बताया कि उक्त आगणन अनुमानित हैं कृषक अंश वास्तविक आगणन के अनुसार देय होगा। उन्होंने योजना का क्रियान्वयन के सम्बंध में बताया कि योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु दलहन, तिलहन, अन्न उत्पादक, कृषको के जो समूह गठित किये जायेंगे उसके अध्यक्ष/ लीडर कृषक द्वारा आवेदन किया जायेगा। आवेदन पहले आयें पहले पायें (First come First Serve) के आधार पर किये जायेंगे। आवेदन लक्ष्य समाप्ती तक स्वीकारे जायेंगे। सोलर फेन्सिंग का कार्य क्लस्टर के आधार पर किया जायेगा, जनपद हेतु निर्धारित लक्ष्यों में से 25 प्रतिशत लक्ष्य कियाशील कृषक उत्पादक संगठन (FPO) हेतु मात्राकृत करते हुए लाभार्थियों का चयन एफ०पी०ओ० सदस्यों में से किया जायेगा। प्रत्येक चयनित क्लस्टर जिसका क्षेत्रफल न्यूनतम 10हे० क्षेत्रफल तक के लाभार्थियों को औसतन 1500 रनिंग मीटर तक सोलर फेन्सिंग के लिए अनुदान सुविधा अनुमन्य हो सकेगी। लाभार्थी के क्षेत्रफल के अनुसार आवश्यक फेन्सिंग की लम्बाई, का स्थलीय सत्यापन तथा अन्य अभिलेखों को अधिकारी द्वारा सत्यापित करते हुये ही वास्तविक फेन्सिंग की लम्बाई समानुपातिक क्षेत्रफल के अनुसार अनुदान सुविधा अनुमन्य होगी। योजनान्तर्गत लाभार्थी के अन्तिम रूप से चयनित होने के उपरान्त लाभार्थी के क्षेत्रानुसार सोलर फेन्सिंग की कुल लागत, अनुमन्य अनुदान एवं कृषक अंश आंकलित करते हुए उसे स्वीकृति पत्र ऑनलाईन / ऑफलाईन उपलब्ध कराया जायेगा।
अतः समस्त किसान भाईयों से अनुरोध है कि दिनांक 31.12.2025 तक https://agridarshan.up.gov.in/ पर उपरोक्तानुसार कम से कम 10 हे० का क्लस्टर बनाकर योजना का लाभ ले सकते है। अधिक जानकारी के लिये उप सम्भागीय कृषि कृषि प्रस प्रसार अधिकारी कार्यालय, राजकीय कृषि बीज भण्डार जनपद जालौन अथवा उप कृषि निदेशक कार्यालय जालौन में सम्पर्क कर सकते हैं।बुन्देलखण्ड के किसानों को गौवंश और जंगली जानवरों से बचाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘सोलर फेंसिंग योजना’ प्रस्तावित की गई है। इस योजना के तहत, किसानों को अपने खेतों के चारों ओर सोलर ऊर्जा से संचालित फेंसिंग लगाने पर 80% तक अनुदान मिलेगा। यह योजना ‘मुख्यमंत्री खेत सुरक्षा योजना’ का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य छुट्टा पशुओं की समस्या से किसानों को राहत दिलाना है।
योजना की मुख्य बातें:
सब्सिडी: सरकार सोलर फेंसिंग की कुल लागत पर किसानों को 80% तक अनुदान प्रदान करेगी।
लागत: योजना के तहत सोलर फेंसिंग की कुल लागत लगभग ₹834 प्रति मीटर हो सकती है, जिसमें से ₹667.2 सरकार देगी और बाकी किसान को वहन करना होगा।
लागू होने की प्रक्रिया: यह योजना क्लस्टर के आधार पर लागू की जाएगी, जिसमें कम से कम 5 किसानों का समूह होगा और उनका कुल क्षेत्रफल 10 हेक्टेयर से 20 हेक्टेयर के बीच होना चाहिए।
लाभार्थी: इस योजना का लाभ केवल लघु और सीमांत किसानों को मिलेगा।
पात्रता: योजना का लाभ उठाने के लिए किसानों को आधार कार्ड, खतौनी और बैंक पासबुक जैसे आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे।
आवेदन: अधिक जानकारी के लिए किसान अपने विकास खंड स्तर पर सहायक विकास अधिकारी (कृषि) या उप कृषि निदेशक कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
लाभ: सोलर फेंसिंग से छुट्टा पशु और जंगली जानवर खेतों में प्रवेश नहीं कर पाएंगे, जिससे फसलों को नुकसान से बचाया जा सकेगा।
