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पर्वत सिंह बादल उरई( ब्यूरो चीफ जालौन) ✍️

(उरईजालौन) उरई: जालौन में तहसील उरई में बोहदपुरा क्षेत्र में विकसित की जा रही हाईटेक नर्सरी का आज जिलाधिकारी राजेश कुमार पाण्डेय व पुलिस अधीक्षक डॉ दुर्गेश कुमार ने स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश देते हुए अधिशासी अभियंता विद्युत को शीघ्र बिजली कनेक्शन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए। जिलाधिकारी ने कहा कि जैसे ही विद्युत कनेक्शन की व्यवस्था पूरी होगी, नर्सरी में उत्पादन कार्य शुरू कर दिया जाएगा।उन्होंने कहा कि यह नर्सरी जनपद के किसानों के लिए बड़ी सौगात है, क्योंकि अब उन्हें बाजार से महंगे और अप्रमाणिक पौधे नहीं खरीदने पड़ेंगे। यहां उपलब्ध पौधे न केवल प्रमाणिक और रोगमुक्त होंगे, बल्कि उत्पादन की गुणवत्ता भी सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने कहा कि आगामी सितंबर माह से हाईटेक नर्सरी का विधिवत संचालन आरंभ कर दिया जाएगा। हाईटेक नर्सरी में बैंगन, टमाटर, मिर्च, फूलगोभी, बंदगोभी, गांठगोभी, लौकी, कद्दू, करेला और खीरा जैसी विविध प्रकार की सब्जियों के पौधे भूमि रहित तकनीक से तैयार किए जाएंगे। यह पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित है, जिससे पौधे एक समान ऊँचाई वाले, स्वस्थ एवं रोगमुक्त होते हैं। इससे किसानों को अधिक उपज के साथ आर्थिक लाभ भी होगा।
जिला उद्यान अधिकारी परवेज खान ने जानकारी देते हुए बताया कि बोहदपुरा पर हाईटेक नर्सरी का निर्माण राजदीप एग्रीप्रोडक्ट्स प्रा. लि. द्वारा 1.09 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है। किसानों को यदि बीज विभाग से उपलब्ध पौधों के माध्यम से चाहिए, तो पौध की कीमत में बीज लागत के साथ एक रुपये प्रति पौधा जोड़ा जाएगा। वहीं, यदि कृषक स्वयं बीज लेकर आते हैं तो उन्हें प्रति पौधा केवल एक रुपया देना होगा। नर्सरी में पौध उत्पादन के लिए तीन प्रमुख आधुनिक चैम्बर बनाए गए हैं, सीड सोइंग चैम्बर, अंकुरण चैम्बर और हाईडिनिंग चैम्बर। सीड सोइंग चैम्बर में ऑटोमैटिक मशीन द्वारा एक घंटे में दस हजार बीजों की बुवाई की जा सकती है। अंकुरण चैम्बर का क्षेत्रफल 500 वर्गमीटर है, जिसमें एक लाख पौधों को एक साथ तैयार किया जा सकता है। इस चैम्बर में पॉली कार्बोनेट संरचना, बूमर सिंचाई प्रणाली और ऑटोमैटिक फैन-पैड कूलिंग सिस्टम जैसी आधुनिक सुविधाएं हैं, जो तापमान और नमी को नियंत्रित रखती हैं। अंकुरित पौधों को इसके बाद हाईडिनिंग चैम्बर में 15 से 20 दिनों तक रखा जाता है, जहाँ से उन्हें खेतों में रोपण के लिए तैयार किया जाता है। जिलाधिकारी ने कहा कि अब तक जनपद में केवल कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) के माध्यम से सीमित स्तर पर पौध उत्पादन होता था, लेकिन अब इस अत्याधुनिक हाईटेक नर्सरी के निर्माण से न केवल जनपद सब्जी उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि भविष्य में सब्जियों के निर्यात की भी संभावनाएं सुदृढ़ होंगी। यह पहल जनपद के कृषकों के लिए आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बनेगी।

By Parvat Singh Badal (Bureau Chief Jalaun)✍️

A2Z NEWS UP Parvat singh badal (Bureau Chief) Jalaun ✍🏻 खबर वहीं जों सत्य हो

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