विजय द्विवेदी जगम्मनपुर रिपोर्ट

(उरईजालौन )जगम्मनपुर , । श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में 33 वर्ष पूर्व कार्यसेवा के लिए गए जगम्मनपुर निवासी अठारह बर्षीय नरेशचंद्र उर्फ नन्हे की याद कर उसके बड़े भाई आंखें गीली करके बीती स्मृतियों में डूब भारी कंठ से उसके अयोध्या जाने फिर कभी वापस न आने की दुःखद दास्तां सुनाते सुनाते रो बैठते हैं।
जनपद जालौन के रामपुरा थाना अंतर्गत ग्राम जगम्मनपुर निवासी श्रीमती महेश्वरी देवी गनेशप्रसाद गुजराती के चार पुत्र क्रमशः राधेश्याम ,गिरधारीलाल , सुभाष चंद्र उर्फ पप्पन व नरेश चंद्र उर्फ नन्हे का भरा पूरा परिवार अपने पिता के द्वारा गांव में पांडित्य कर्म के आधार पर अपना भरण पोषण कर रहा था । यह बात उसे समय की है जब 1990 के दशक में विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल , साध्वी ऋतंभरा , उमा भारती, विनय कटियार जैसे अनेक हिंदूवादी नेताओं के ओजस्वी एवं दिमाग को झझकोर देने वाले उद्बोधन से युवा तो युवा अधेड़ और वृद्ध लोगों का रक्त अपने आराध्य भगवान श्री राम की जन्म भूमि को स्वतंत्र करने के लिए उद्वेलित हो उठता था । पूरे देश में अयोध्या के श्रीराम मंदिर के लिए आंदोलन चल रहा था इस समय हिंदूवादी नेताओं ने अक्टूबर 1990 में अयोध्या चलो का नारा दिया और यह नारा पानी में तेल की तरह फैल गया । देश भर में लाखों युवा , किशोर , अधेड़ , वृद्ध हिंदू अयोध्या के लिए कूंच कर गए । जनपद जालौन के रामपुरा थाना अंतर्गत ग्राम जगम्मनपुर निवासी श्रीमती महेश्वरी देवी गनेशप्रसाद गुजराती का 18 वर्षीय किंतु शरीर से हष्ठ-पुष्ट पुत्र नरेश चंद्र उर्फ नन्हे भी अयोध्या जाने के लिए मचल उठा । उसके जेष्ठ तीन भाई राधेश्याम , गिरधारी एवं सुभाष तथा माता महेश्वरी देवी ने उसे बहुत समझाया कि अभी तुम्हारी उम्र खेलने खाने की है एवं इस बर्ष तुम्हारी कक्षा 12 की इलाहाबाद बोर्ड की परीक्षा है इसे उत्तीर्ण करके तुम जो चाहो करना लेकिन उसके मस्तिष्क में श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के लिए कार सेवा हेतु अयोध्या जाने का ऐसा जुनून चढ़ा कि उसने घर में अपने किसी की बात नहीं मानी परिणामस्वरुप बृद्ध मां ने भींगी आंखों एवं कांपते हाथों से उसका तिलक लगाकर 22 अक्टूबर 1990 सोमवार की शाम 6:00 बजे जगम्मनपुर से उरई जाने वाली अंतिम बस पर बैठाकर रवाना कर दिया । अपने माता-पिता भाइयों से विदा होकर नरेश कुमार उर्फ नन्हे उरई कार सेवकों के जत्थे के साथ अयोध्या के लिए रवाना हो गया यहां तक की जानकारी नरेशचन्द्र के घर वालों को है उसके बाद क्या हुआ किसी को पता नहीं , लेकिन 33 वर्ष बीत जाने के बाद भी वह आज तक अपने घर वापस नहीं लौटा । लापता नरेश नरेश चंद्र के सबसे जेष्ठ भ्राता राधेश्याम जो सहारनपुर में बैंक सेवा से निवृत्त होकर वर्तमान में उत्तर प्रदेश के नोएडा में रहते हैं । दूसरे जेष्ठ भ्राता गिरधारी लाल बीमारी के कारण कुछ समय पूर्व परलोक सिधार गए एवं तृतीय बडे भाई सुभाषचंद्र उर्फ पप्पन आगरा ताजमहल में पार्ट टाइम ड्यूटी कर अपने पुश्तैनी काम पांडित्य कर्म को करते हुए आगरा में ही निवास कर रहे हैं । जगमनपुर में उनका घर वीरान एवं जमींदोश हो चुका है। हमारी टीम ने जब इस मामले में जानकारी प्राप्त करने के उद्देश्य से राधेश्याम गुजराती से मुश्किल प्राप्त हुए उनके कांटेक्ट नंबर पर संपर्क किया व वर्ष 1990 की घटना में उनके सबसे छोटे भाई नरेश चंद्र के बारे में जानकारी चाहिए तो उनकी आंखें डबडबा आईं और उनका गला रुंध गया। कुछ क्षण तो वह कोई जवाब नहीं दे सके फिर उन्होंने अपने को सम्हालते हुए बताया कि हम कल्पना भी नहीं कर सकते थे कि 22 अक्टूबर 1990 की वह शाम जब हमारा भाई हमसे दूर अयोध्या कारसेवा के लिए जा रहा है अब कभी वापस नहीं आएगा । उन्होंने बताया कि जब हम लोगों ने रेडियो टेलीविजन व समाचार पत्रों के माध्यम से अयोध्या में 30 अक्टूबर व 02 नवंबर को कार सेवकों पर बर्बर गोलीबारी व कारसेवकों के मारे जाने की जानकारी हुई तो हमारे घर में हाहाकार मच गया और हमारा तीसरा छोटा भाई सुभाष जिसके संपर्क राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी से थे वह तत्काल अयोध्या के लिए अपने छोटे भाई की खोज में रवाना हो गया लेकिन उसे अपने भाई नन्हे का कहीं कोई पता नहीं चल सका , लगभग दो माह तक असफल प्रयास से हताश होकर वह भी अपने घर जगम्मनपुर चला आया । वर्तमान में आगरा में अपना मकान बनाकर निवास कर रहे सुभाष चंद्र गुजराती जो आगरा में ही राजा मंडी स्थित नाथ संप्रदाय से संबद्ध तथा गोरखनाथ पीठ की शाखा व महंत योगी आदित्यनाथ (मुख्यमंत्री) के स्वामित्व वाले एक मंदिर में सेवारत है ने बताया कि मैं अपने भाई नरेश चंद्र उर्फ नन्हे की खोज में अयोध्या से लेकर अनेक संभावित स्थानों पर दो महीने तक भटकता रहा। तत्कालीन सांसद श्याम बिहारी मिश्रा जो उस समय उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष थे , सांसद राजेंद्र अग्निहोत्री झांसी , हनुमान मिश्रा विद्यार्थी परिषद प्रदेश महामंत्री, स्वतंत्र देव सिंह झांसी मंडल संयोजक विद्यार्थी परिषद सहित अनेक नेताओं ने मेरे भाई की खोज करवाने में बहुत मदद की लेकिन सफलता नहीं मिली। सुभाष चंद्र गुजराती ने बताया कि वर्ष 1992 में जब पुनः कार सेवा हुई तो मुझे बुलावा आया और मैं अपने घर वालों की इच्छा के विपरीत अपने छोटे भाई के अधूरे काम को पूरा करने का संकल्प लेकर अयोध्या गया था । अपने भाई की याद करते-करते राधेश्याम गुजराती एवं सुभाष चंद्र गुजराती की आंखें सजल हो जाती उनका गला भर आता है। सुभाषचंद्र ने बताया कि हम बहुत आनंदित हैं कि जिस राम मंदिर के लिए हमने अपना सबसे छोटा प्यारा भाई खोया एवं स्वयं अयोध्या में जाकर कारसेवा की आज हमारा बलिदान व प्रयास रंग ले आया है । अयोध्या में भव्य मंदिर निर्माण होकर 22 जनवरी को भगवान श्रीराम उसमें विराजमान हो रहे हैं इससे पूरा देश आनन्दित व उल्लासित है। यदि मुझे अयोध्या के लिए आमंत्रण आएगा तो अवश्य जाऊंगा अथवा जब भगवान श्री राम बुलाएंगे तब जाकर उनका दर्शन अवश्य करूंगा।

By Parvat Singh Badal (Bureau Chief Jalaun)✍️

A2Z NEWS UP Parvat singh badal (Bureau Chief) Jalaun ✍🏻 खबर वहीं जों सत्य हो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *