संजीव उर्फ जीवा पर मैग्नम अल्फा .357 बोर की रिवॉल्वर से गोलियां दागी गईं। यह चेक रिपब्लिक की बनी है। ये रिवॉल्वर भारत में प्रतिबंधित नहीं है। पर, बड़ा सवाल यह है कि रिवॉल्वर आरोपी विजय यादव को कैसे मिली? क्या किसी ने उपलब्ध कराई या फिर उसने खरीदी? बरामद खोखे और रिवॉल्वर की बैलिस्टिक जांच कराई जाएगी। फोरेंसिक टीम ने इसको कब्जे में लेकर सील कर दिया है।

पुलिस के एक अफसर के मुताबिक .357 बोर की मैग्नम अल्फा का एक कारतूस डेढ़ से दो हजार रुपये में आता है। आमतौर पर पंजाब, हरियाणा में इसकी बिक्री है। ऐसे में आशंका है कि पंजाब के किसी तस्कर या गैंगस्टर के जरिये विजय तक ये रिवॉल्वर पहुंची। इस पहलू पर भी तफ्तीश की जा रही है।

इस तरह की रिवॉल्वर का इस्तेमाल इसलिए किया गया, जिससे वारदात को अंजाम देने में किसी तरह की नाकामी न हो। यही वजह है कि पलक झपकते ही विजय ने ताबड़तोड़ सभी छह राउंड फायर कर दिए थे। किसी को भी संभलने तक का मौका नहीं मिल सका था।



आगे की तफ्तीश में पता चलेगा कि आखिर असलहा विजय तक कैसे पहुंचा। पुलिस ने उसका मोबाइल भी कब्जे में ले लिया है। कॉल डिटेल आदि खंगाल रही है। सूत्रों के मुताबिक कुछ संदिग्ध नंबर व व्हाट्सएप चैट भी मिली है। जिससे अहम जानकारी सामने आ सकती है।


एक और साथी था मौजूद: फिलहाल अभी विजय ही पुलिस की गिरफ्त में है। पुलिस ने जब पूछताछ की तो ये भी बात सामने आई कि वारदात के वक्त कोर्ट रूम में विजय का एक और साथी मौजूद था। लेकिन, वह वहां से भाग निकला। पुलिस इस तथ्य का सत्यापन कर रही है। सीसीटीवी फुटेज आदि जुटा रही है। ये भी आशंका है कि शायद बैकअप के लिए और भी हो सकते हैं। इस पहलू की गहनता से तफ्तीश की जा रही है।


सभी गोलियां पीठ पर बाईं तरफ से मारी गईं…

डॉक्टरों के पैनल ने देर रात जीवा का पोस्टमार्टम किया। रिपोर्ट के मुताबितक उसके शरीर में छह गोलियां लगीं। सभी गोलियां पीठ पर बाईं तरफ से मारी गईं। सभी आसपास ही लगीं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है है कि विजय खतरनाक शार्प शूटर है।


आशंका यह भी है कि जब गोलियां मारी गई तो जीवा ने अपना दायां हाथ पीठ की तरफ कर दिया था। इसलिए उस हाथ की अंगुलियों को गोली छूते हुए निकली। इसके अलावा जो गोलियां बच्ची, उसकी मां व दो पुलिसकर्मियों को लगी, आशंका है कि जीवा को आरपास होने के बाद लगीं।




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