
सांकेतिक तस्वीर
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अपर सत्र न्यायाधीश नीतू यादव की अदालत ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म मामले में आरोप सिद्ध होने पर अभियुक्त को 10 साल के कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा 10 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। न्यायालय ने तीन साल पुराने मामले में फैसला सुनाया।
विशेष लोक अभियोजक चंद्रप्रकाश शर्मा ने बताया कि एक महिला ने शहर कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें बताया था कि क्षेत्र के एक गोदाम में वह परिवार के साथ रहकर पन्नी छांटने का काम करती थी। वहीं, एक अन्य महिला शीला अपने बेटे मुकेश के साथ काम करती थी। 26 जून 2019 को वह अपने पति के साथ पूजा में शामिल होने के लिए गांव गई हुई थी। इसी दरम्यान उसकी 14 साल की बेटी को खालसा इंटर कॉलेज के पास रहने वाला मुकेश बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गया था।
इस काम में मुकेश की मदद उसके परिवार वालों ने भी की थी। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर नाबालिग को बरामद कर लिया था। पड़ताल में नाबालिग के साथ दुष्कर्म की भी पुष्टि हुई थी। बाद में पुलिस की ओर से आरोप पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। न्यायालय ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद अभियुक्त मुकेश बरार को 10 साल के कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही अदायगी न करने पर अभियुक्त को छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा। इसके अलावा न्यायालय ने अभियुक्त को अन्य धाराओं में भी सजा सुनाई।