मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन वार्ड की ईको (इकोकार्डियोग्राम) मशीन पांच माह से ज्यादा समय से खराब है। इस कारण यहां भर्ती गंभीर रोगियों को दिल की जांच के लिए करीब 500 मीटर दूर सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में जाना पड़ता है। वहीं, जिला अस्पताल की इमरजेंसी में लगी ईसीजी मशीन भी खराब है। इससे मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मेडिकल कॉलेज के वार्ड नंबर सात की आईसीयू में दिल के रोगियों की ईको जांच की जाती है। यदि अन्य वार्डों में भर्ती रोगी को दिल संबंधी शिकायत होती है तो ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) कराई जाती है। दिल में दिक्कत के संकेत मिलने पर ईको जांच कराई जाती है, लेकिन ईको मशीन करीब पांच माह से खराब है। इससे भर्ती रोगियों को ईको की जांच के लिए स्ट्रेचर अथवा व्हीलचेयर से 500 मीटर दूर जांच कराने के लिए जाना पड़ता है।
चूंकि सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में पहले से हृदय रोगी जांच के लिए बैठे होते हैं, इस वजह से वार्ड से आए रोगियों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. रामबाबू सिंह ने बताया कि ईको मशीन अपनी उम्र पूरी कर चुकी है। कॉलेज प्रशासन को अवगत करा दिया है और रोगियों को ईको जांच के लिए सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक भेजा जाता है।
टीएमटी मशीन भी खराब
कई रोगियों की टीएमटी (ट्रेड मिल टेस्ट) की जाती है, इसमें दिल के आसपास सेंसर लगाकर रोगी को ट्रेड मिल पर चलाया जाता है। चलने के दौरान दिल की बदलने वाली धड़कन का ग्राफ बनता है। इस जांच से दिल की बीमारी होने अथवा न होने की स्थिति स्पष्ट होती है। मेडिसिन विभाग की ओपीडी में आने वाले रोगियों की यह जांच चार माह से बंद है। इसकी वजह मशीन का खराब होना है। यह जांच भी सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में की जाती है।
मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. मयंक सिंह ने बताय कि वार्ड की ईको मशीन खराब होने का पता चला है। नई मशीन की व्यवस्था कर ली गई है। 24 घंटे के अंदर ही वार्ड में फिर से जांच शुरू करवा दी जाएगी।
इमरजेंसी की ईसीजी खराब, आईसीयू में जांच स्पष्ट नहीं
जिला अस्पताल की इमरजेंसी की ईसीजी मशीन खराब है। इससे चिंताजनक हालत में आने वाले रोगियों की जांच बंद है। ऐसे में रोगी को सीधे मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है।
डॉक्टरों के अनुसार घबराहट, बेचैनी, सीने में दर्द आदि की शिकायत पर रोगियों की ईसीजी जांच की जाती है। लेकिन जिला अस्पताल की ईसीजी मशीन एक पखवाड़े से खराब है, जिससे जांच नहीं हो पा रही है। यदि परिजन दबाव बनाते हैं तो रोगी को तुरंत आईसीयू में भेज दिया जाता है। इमरजेंसी कर्मी विक्रम सिंह ने बताया कि आईसीयू में ईसीजी जांच करते तो हैं, मगर इलेक्ट्रोड खराब होने से तीन की जगह सिर्फ दो लाइन ही दिल का राज बताती हैं। स्थिति स्पष्ट न होने से रोगी को मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया जाता है।
मुझे किसी ने ईसीजी मशीन खराब होने के बारे में नहीं बताया। आईसीयू में सोमवार को भी कई रोगियों की जांच की गई है। मशीन को तुरंत सही करवाकर इमरजेंसी में ईसीजी जांच शुरू कराई जाएगी।
डॉ. प्रमोद कटियार, एसआईसी, जिला अस्पताल
