प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से उद्योग स्थापना व संचालन पर लगने वाले शुल्क पर उद्यमियों ने आपत्ति जताई है। उन्होंने इसे हास्यास्पद बताते हुए कहा कि हैरत की बात है कि विभाग कंपनी से प्रदूषण के बजाय उसकी बैलेंस सीट के मुताबिक शुल्क वसूल रहा है।

उद्योग स्थापना और संचालन के नाम पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड एनओसी देने के बदले व्यापारियों से स्लैब अनुरूप शुल्क वसूलता है। यह शुल्क प्रदूषण उत्सर्जन के आधार पर न होकर उद्योग की लागत के अनुरूप वसूला जाता है। यही नहीं कई अन्य तरह के सवाल-जवाब होते हैं, इससे उद्यमी का मनोबल गिर जाता है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से वसूले जाने वाले सीटीई (स्थापना की सहमति) और सीटीओ (संचालन की सहमति) को उद्यमी न्यायसंगत नहीं मानते। उनका कहना है कि यदि कोई छोटी इकाई है और अधिक प्रदूषण कर रही है तो उससे बेहद कम शुल्क लिया जाता है। वहीं, बड़ी कंपनी है और कितना भी कम प्रदूषण करे तो उससे उसकी हैसियत के अनुरूप शुल्क लिया जाता है। उद्यमियों ने कंपनी की हैसियत के बजाय प्रदूषण के अनुरूप शुल्क वसूले जाने की मांग की।

कितना है सीटीई और सीटीओ

1 से 10 करोड़ तक के उद्योग की लागत का सीटीई 10 हजार व सीटीओ 40 हजार, 10 से 50 करोड़ तक उद्योग की लागत का सीटीई  25 हजार और सीटीओ 70 हजार है।

यह बोले उद्यमी

बुंदेलखंड चैंबर्स के अध्यक्ष धीरज खुल्लर ने कहा कि एक ओर सरकार उद्योग स्थापना के लिए तमाम वायदे कर रही है, लेकिन उनकी नीतियां उद्योग स्थापना के अनुरूप नहीं हैं। सबसे पहले उद्योग लगाना और उसे चलना दोनों अलग अलग बात है। सरकार की ओर से तमाम विभाग उद्योग से तरह-तरह के शुल्क वसूलते हैं। उसमें रियायत दी जाए।

उद्यमी व बुंदेलखंड चैंबर्स के महामंत्री पवन सरावगी ने कहा कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से वसूला जाने वाला शुल्क उद्योग हित में नहीं है। प्रदूषण उत्सर्जन के अनुरूप शुल्क वसूला जाए न कि इकाई की लागत के हिसाब से। सरकार की यह नीति गलत है।

बुंदेलखंड चैंबर्स के उपाध्यक्ष अतुल शर्मा ने कहा कि सरकार उद्योग हित में कार्य तो कर रही है लेकिन जो मंशा है उसे पूरी करने के लिए और प्रयास करना होगा। उद्योग संचालन के लिए जो दावे और वायदे किए जाते हैं, उसको धरातल पर लाने की जरूरत है।

बुंदेलखंड चैंबर्स के सचिव राजू परवार ने कहा कि वह इंडस्ट्रीज चलाते हैं। उद्योग विभाग की एनओसी लेने के साथ ही हर साल रिन्यूअल चार्ज देते हैं। यह उन्हें अपनी कंपनी की बैलेंस सीट के अनुरूप देना होता है, जबकि उनके यहां प्रदूषण का उत्सर्जन ज्यादा नहीं है।

बुंदेलखंड चैंबर्स के कोषाध्यक्ष कपिल खन्ना ने कहा कि उद्योग स्थापना में तमाम सहूलियत देने की बातें कही जाती हैं, लेकिन हकीकत इससे इतर है। उद्योग स्थापित करने के दौरान इतने दस्तावेज और एनओसी लेनी होती है कि मन ही हट जाए। उद्योग पर लगने वाले शुल्क से लेकर जरूरी एनओसी सिंगल विंडो से मिले।

उद्योग स्थापना से पहले की सहमति और बाद में उसके संचालन पर बोर्ड की ओर से शुल्क लिया जाता है। इसका सरकार की ओर से स्लैब निर्धारित है। यदि कोई उद्योग इसे अदा नहीं करता है तो उसके खिलाफ जुर्माने का प्रावधान है।– इमरान अली, क्षेत्रीय अधिकारी, उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड झांसी।



Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *