
कोर्ट का फैसला
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झांसी में विशेष न्यायाधीश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम शक्तिपुत्र तोमर की अदालत ने अनुसूचित जाति के युवक का अपहरण कर हत्या का आरोप सिद्ध होने पर अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। न्यायालय ने 14 साल पुराने मामले में फैसला सुनाया।
विशेष लोक अभियोजक केशवेंद्र प्रताप सिंह व कपिल करौलिया ने बताया कि ग्राम परवई निवासी नत्थू ने सीपरी बाजार थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी, जिसमें बताया था कि 19 जनवरी 2009 की शाम तकरीबन पांच बजे उसके बेटे नन्नू कोरी को गांव का ही दीपक घर से बुलाकर अपने साथ ले गया था। इसके बाद वह वापस लौटकर नहीं आया। काफी खोजबीन के बाद भी बेटे का पता नहीं चला था। इसी बीच 22 जनवरी को लोगों ने बताया कि बेटे नन्नू का शव सिमरधा बांध के पास पानी में पड़ा हुआ है। पिता ने हत्या का आरोप दीपक और दतिया निवासी सुदामा पर लगाया था।
पुलिस ने दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। लेकिन, सुदामा पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया था। मुकदमे के दौरान भी सुदामा का पता नहीं चला था। इस पर उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। न्यायालय ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद अभियुक्त दीपक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके अलावा 10 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया।
गवाह पलटे, रस्सी बनी सजा का आधार
विशेष लोक अभियोजक केशवेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि मुकदमे के दरम्यान गवाह पलट गए थे। यहां कि मुकदमे के वादी मृतक के पिता तक ने अपने बयान बदल दिए थे। लेकिन, अदालत ने परिस्थितिजन्य साक्ष्यों को आधार मानते हुए सजा सुनाई। युवक की रस्सी से गला घोंटकर हत्या की गई थी और बाद में उसे पानी में फेंक दिया गया था। अभियुक्त दीपक ने पुलिस को रस्सी बरामद कराई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी रस्सी से गला दबाने की बात सामने आई थी।