रोजगार के लिए ऋण तो मिल गया, लेकिन कई लाभार्थी सब्सिडी के लिए भटक रहे हैं। एक जनपद एक उत्पाद योजना में दो साल में स्वीकृत 162 आवेदनों में 26 को ऋण के साथ सब्सिडी दे दी गई, लेकिन 16 उद्यमी ऐसे हैं, जिन्हें अब तक सब्सिडी नहीं मिल सकी है। बैंक से संतोषजनक जवाब न मिलने से वह परेशान हैं।

उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए एक जिला एक उत्पाद योजना शुरू की गई है। इसके तहत झांसी में सॉफ्ट टॉयज और वस्त्र उद्योग को शामिल किया गया है। इस योजना के तहत 5 लाख से लेकर अधिकतम 50 लाख रुपये तक ऋण दिया जाता है। 25 प्रतिशत सब्सिडी भी सरकार देती है। वर्ष 2024-25 व 2025 में अब तक जनपद में ओडीओपी के तहत कुल 162 लोगों के आवेदन स्वीकृत कर ऋण देने के लिए बैंक भेजे गए। बैंक ने 26 लोगों को ऋण के साथ सब्सिडी के रूप में 70.63 लाख रुपये भेज दिए। वहीं, 16 लाभार्थी ऐसे हैं जिन्हें ऋण तो मिला लेकिन 52.87 लाख रुपये सब्सिडी खातों में नहीं भेजी गई। ये लोग उद्योग विभाग से लेकर बैंक के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा है।

बैंक में लंबित सब्सिडी

पंजाब नेशनल बैंक 7, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया 2, बैंक ऑफ बड़ौदा 3, बैंक ऑफ इंडिया 2, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया 2, इंडियन बैंक 1, इंडियन ओवरसीज बैंक 1, उप्र ग्रामीण बैंक 1 है।

यह है एक जनपद एक उत्पाद योजना

इस योजना के तहत जिले के विशिष्ट उत्पादों को बढ़ावा देना और उनका विकास करना है। मुख्य लक्ष्य पारंपरिक शिल्पों, हथकरघा और अन्य स्वदेशी उत्पादों को प्रोत्साहित करना है, ताकि स्थानीय कारीगरों और छोटे उद्योगों को रोजगार और आय का अवसर मिल सके। झांसी में इस योजना के तहत सॉफ्ट टॉयज और हस्तशिल्प को चयनित किया गया है।

सब्सिडी आमतौर पर आवेदन जमा होने के कई वर्षों बाद मिलती है, जिससे प्रोत्साहन देने का मूल उद्देश्य ही समाप्त हो जाता है। इसके विपरीत पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में सब्सिडी छह माह में जारी कर दी जाती है। भुगतान के लिए अधिकतम समय-सीमा निर्धारित होनी चाहिए, इसके बाद सब्सिडी स्वतः देय मानी जाए। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी। निवेशकों को भ्रमित होने से बचाया जा सकेगा।

– धीरज खुल्लर, अध्यक्ष, बुंदेलखंड चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज

जिनके खातों में सब्सिडी नहीं पहुंची है उसके लिए समन्वय स्थापित किया जा रहा है। जो भी समस्या है, उसका निराकरण कराया जाएगा।– मनीष चौधरी, उपायुक्त उद्योग।



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