चिरगांव के पहाड़ी बुजुर्ग के पास रायसेनिया बाबा मंदिर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन गुरुवार को कथा व्यास रमाकांत व्यास ने धुंधकारी प्रसंग का सार सुनाते हुए माता-पिता की महिमा को धरती पर साक्षात भगवान का स्वरूप बताया।
चिरगांव के पहाड़ी बुजुर्ग के पास रायसेनिया बाबा मंदिर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन गुरुवार को कथा व्यास रमाकांत व्यास ने धुंधकारी प्रसंग का सार सुनाते हुए माता-पिता की महिमा को धरती पर साक्षात भगवान का स्वरूप बताया।
कथा व्यास ने कहा माता-पिता ही संसार में प्रत्यक्ष देवता हैं। इन्हें कष्ट पहुंचाना जीवन का सबसे बड़ा पाप है। मंदिर न जाएं तो चल जाएगा, कथा न सुनें तो क्षम्य है, भजन-कीर्तन न करें तो भी जीवन कट सकता है, लेकिन यदि आपने माता-पिता की सेवा नहीं की, तो कुछ भी किया हुआ सफल नहीं माना जाएगा। जो संतान माता-पिता को पीड़ा देती है, वह जीवन में कभी वास्तविक सुख प्राप्त नहीं कर सकती।