निर्धारित मात्रा से अधिक उर्वरक बेचने के मामले में 58 सहकारी समितियां अब शासन के रडार पर हैं। जांच में सामने आया कि 120 किसान ऐसे हैं जिन्होंने खतौनी के आधार पर ही उर्वरक खरीदी लेकिन उनके नाम पर अधिक खरीद दिखाई गई है। जबकि 80 किसान ऐसे पाए गए जिन्होंने निर्धारित मात्रा से अधिक खाद ली है।

रबी की फसल के लिए स्टॉक

इस मामले में तीन सदस्यीय जांच टीम झांसी आई थी। उसने तीन दिन तक जांच की और पाया कि 80 किसानों ने एक एमटी (मीट्रिक टन) से अधिक खाद ली। खरीफ सीजन में अधिक वर्षा के कारण मूंग, मूंगफली, उड़द, तिल सहित अन्य फसलों को 65 से 100 प्रतिशत का नुकसान हुआ था। इसके बावजूद किसान उर्वरक लेने सहकारी समितियों पर पहुंच रहे थे। शुरुआत में माना जा रहा था कि किसान रबी की फसल के लिए स्टॉक कर रहे हैं लेकिन धीरे-धीरे उर्वरक पिछले साल के मुकाबले ज्यादा बिक गई। शासन को भी यह मामला खटका और पाया कि 200 किसान ने अधिक उर्वरक की खरीद की है।

तीन सदस्यीय टीम कर रही जांच

मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम गठित कर झांसी भेजा गया। टीम ने भोजला, चिरगांव और खैलार का निरीक्षण किया। पाया कि सहकारी समिति से 80 किसान ऐसे हैं जिन्होंने एक एमटी से ज्यादा खाद खरीदी है। इस खाद का इन किसानों ने कहां उपयोग किया इसका जवाब नहीं मिल पाया है। लेकिन माना जा रहा है कि किसानों ने अधिक खाद लेकर इसे मध्य प्रदेश के जिलों के किसानों को बेची है। टीम ने पाया कि 120 किसान ऐसे हैं जिन्होंने उपलब्ध भूमि के मुकाबले ज्यादा उर्वरक लिया लेकिन उन किसानों ने बीच बीच में हुई बरसात में उर्वरक बह जाने पर दोबारा खरीद की थी।

सचिवों ने किया खेल

खाद की अधिक बिक्री का खेल सहकारी समितियों के सचिव की साठगांठ से हुआ। हालांकि संबंधित विभाग के अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। लेकिन जांच टीम आने के पहले कृषि विभाग की ओर से समितियों और कई दुकानदारों के यहां जांच कर कार्रवाई की गई थी। सचिवों ने उन्हें खतौनी के आधार पर ही उर्वरक दिया पर उनके खाते में अधिक बोरियां दर्शा दीं।

मध्य प्रदेश का एंगल तलाश नहीं पा रहा विभाग

मध्य प्रदेश में खाद की उपलब्धता को लेकर आसपास में कोई सेंटर नहीं है और न ही कोई बड़ा गोदाम है। यही कारण है कि जिले से सटे मध्य प्रदेश के इलाकों के किसान यहां के किसानों से संपर्क साधकर उनसे खाद खरीद लेते हैं। अधिकारियों ने बताया कि झांसी को मालगाड़ी के माध्यम से उर्वरक उपलब्ध कराया जाता है लेकिन मध्य प्रदेश में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। यही कारण है कि इन 80 किसानों ने इतनी बड़ी मात्रा में खाद कहां खपाई इसकी जानकारी नहीं हो पा रही है।

ऐसे हुआ खेल

पीओएस मशीन के अपडेट न होने के कारण अधिक उर्वरक के बेचे जाने की खामी सामने आई है। एक बार एक किसान खाद लेने के बाद वह एक घंटे के पश्चात उसी स्थान या दूसरे स्थान से खाद ले सकता है। जबकि, नियमानुसार किसानों को उनकी खतौनी के आधार पर ही खाद देने का आदेश है।

इस मामले में जिला कृषि अधिकारी कुलदीप मिश्रा का कहना है कि जांच टीम सारे साक्ष्य गोपनीय तरीके से जुटाकर लौट गई है।

 



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