जीवन का असली अर्थ केवल जीने में नहीं, बल्कि दुनिया से जाने के बाद भी कुछ देकर जाने में है। इस सोच को साकार करते हुए इस साल अब तक झांसी के जागरूक 19 बुजुर्गों ने मेडिकल काॅलेज में देहदान का संकल्प लिया है। उनका कहना है कि मृत्यु के बाद भी उनका शरीर चिकित्सा शिक्षा और मानवता की सेवा में काम आए, यही उनके जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि होगी। मेडिकल कॉलेज के स्थापना दिवस पर 16 दिसंबर को इन देहदानियों और उनके परिजनों को सम्मानित किया जाएगा।
2023 में दो से बढ़कर 2024 में 11 हुई
मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी (शरीर रचना) के विभागाध्यक्ष डॉ. रघुवीर सिंह मंडलोई ने बताया कि देहदान को लेकर लोगों में जागरुकता बढ़ी है। यही कारण है कि इस वर्ष अब तक रिकॉर्ड 19 लोग देहदान के लिए संकल्प पत्र भर चुके हैं। जबकि 2017 से 2023 तक मेडिकल कॉलेज को किसी ने देहदान नहीं की थी। वर्ष 2023 में सिर्फ दो लोगों ने देहदान का संकल्प लिया तो 2024 में यह संख्या बढ़कर 11 हो गई। उन्होंने यह भी बताया कि देहदान के कुछ समय बाद इसके सहारे छात्रों को शरीर रचना पढ़ाई जाती है। ऑपरेशन के लिए कितना गहरा काटना है, यह भी सिखाया जाता है। प्रधानाचार्य डॉ. मयंक सिंह का कहना है कि इससे मेडिकल के विद्यार्थियों को पढ़ाई में काफी मदद मिलेगी। यह कदम समाज में वैज्ञानिक सोच और करुणा दोनों को बढ़ावा देता है।
देहदान करने वालों का यह है कहना
डड़ियापुरा निवासी भगवानदास कुशवाहा का कहना है कि कुछ समय पूर्व पता चला कि मृत देह न होने से मेडिकल के विद्यार्थियों को मानव संरचना की पढ़ाई में दिक्कत हो रही है। तभी दिमाग में आया कि क्यों न देहदान का संकल्प लिया जाए। इसके बाद देहदान का फैसला लिया।
रानी महल निवासी नरेंद्र कुमार अग्रवाल ने बताया कि शहर के एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की मां ने मरने से पहले देहदान किया था। जब मुझे पता चला तो इससे काफी प्रेरित हुआ। विचार आया कि इससे बेहतर कुछ नहीं है। इसके बाद मेडिकल कॉलेज पहुंचकर देहदान का संकल्प लिया।
आप भी ऐसे कर सकते हैं देहदान
देहदान की प्रक्रिया बेहद सरल है। इसके लिए मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में संकल्प पत्र भरना होता है। इससे पहले कॉलेज प्रशासन पूरे शरीर की जांच करवाता है ताकि कैंसर, टीबी, एड्स आदि गंभीर बीमारी तो नहीं है, यह पता चल सके। इसके सारे नियम मेडिकल कॉलेज की वेबसाइट पर भी उपलब्ध हैं।
